दातुन तो बीते दिनों की बात हो गयी है। अब सर्वत्र टूथपेस्ट व् टूथब्रश का बोलबाला है। कभी टूथ पाउडर में दांतों को कीड़ों से बचाने के लिए तम्बाकू मिला होने की बात सामने आती है तो कभी टूथपेस्ट में दांतों को बचाने लिए अधिक मात्र में फ्लोराईड मिला होने की बात सामने आती है। यही फ्लोराईड बच्चों के लिए खतरा बन गया है। छोटे बच्चे टूथपेस्ट में रसायनों के अलावा मिलाई गयी मिठास के चलते उसे निगल लेते है। यही निगला हुआ टूथपेस्ट बच्चों के लिए खतरा बनता जा रहा है।
छह वर्ष की उम्र तक के छोटे बच्चे सुबह-सुबह टूथब्रश-पेस्ट का उपयग करते है। इसमें मिलाये गए फ्लोरयिद का काम दांतों को सड़न और कैविटी से बचाना है, जबकि छोटे बच्चों द्वारा टूथपेस्ट खा जाने पर यह उनकी कई शारीरिक क्रियाओं को गड्ड-मड्ड कर देता है। पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। मसूड़ों की कोशिकाएं निर्बल हो जाती है। बच्चों को टूथपेस्ट से मिले समस्त रसायनों के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए चिकित्सक द्वारा बताये गए टूथपेस्ट का ही उपयोग करना चाहिए। साथ ही यह भी देखें की आप स्वयं जो टूथपेस्ट या ब्रश इस्तेमाल करते है वह इन्डियन डेंटल असोसिएशन से प्रमाणित है भी या नहीं।
सुविचार-
सरलता में महान सौन्दर्य होता है , जो सरल है वह सत्य के समीप है ।
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