शनिवार, 5 जनवरी 2013

दवाओं का खूनी परिक्षण Deadly Drug Trials In India


हमारे देश में मरीजो पर नई दवाओं का परिक्षण अवैध रुप से धङल्ले से हो रहा है । भारत में दवा परिक्षण कानून ( Drug Trial Law ) 2005 में बना था । तब से लेकर आज तक 2282 ट्रायल को मंजूरी मिली है । जबकि इससे कई गुना ज्यादा संख्या में ट्रायल अवैध रुप से किए गए है ।
आंकङों के अनुसार पिछले 30 महिनों में अवैध ड्रग ट्रायल में 1300 लोग मारे गए है । 2010 की शुरुआत में ही ऐसे ही एक ट्रायल में 6 बच्चों की जान गई थी । मरीजों पर ये सब परीक्षण उनकी जानकारी के बिना किए गए है , जो कानूनन अपराध है । सर्वे के अनुसार अवैध दवा परिक्षण में हुई मृत्यु इस प्रकार है -
2007 में 137
2008 में 288
2009 में 637
2010 में 671

देश की सबसे बङी अदालत, सुप्रीम कोर्ट ने इस सन्दर्भ में केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है । दवा परीक्षण के बहाने मासूम ज़िन्दगीयों के साथ खिलवाङ किया जा रहा है ।
अवैध ड्रग परीक्षण का बङा कारण दोषी के लिए सजा के प्रावधान का न होना है । और अगर एक एथिक्स कमेटी ड्रग ट्रायल पास नहीं करती तो इसे किसी दूसरी कमेटी से पास करा लिया जाता है । यही कारन है कि कई मल्टीनेश्नल कम्पनिया भारत में दवा परीक्षण करती है।इसलिए भारत में दवा परिक्षण कारोबार 16 अरब का हो गया है ।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए केन्द्र सरकार को आदेश दिए है कि सभी दवा परिक्षण स्वास्थ्य सचिव की देखरेख में हो । कम्पनी मरीज को बिना बताए उस पर किसी भी तरह की दवा का परीक्षण नहीं कर सकती । मरीज की लिखित रजामन्दी आवशयक है । मरीज को दवा के सम्भावित नुकसान के बारे में बताना भी जरुरी है । कम्पनी द्वारा मरीज के लिए स्वास्थ्य बीमे का प्रबंध अनिवार्य है ।
नियमों का उल्लंघन करने पर दोषी को 5-10 साल की जेल हो सकती है और लाखों का जुर्माना भी लग सकता है ।

ज़ाहिर है, सुप्रीम कोर्ट के रुख़ और आदेश इस ओर कड़े है, लेकिन जब तक आदेशो की पालना भली-भाँति नहीं की जाएगी, ऐसे सख्त कानून से भी कुछ लाभ नहीं होगा ।



सुविचार 
निराशावाद भयंकर राक्षस है , जो हमारे नाश की ताक में बैठा रहता है ।
इससे जीवन के बहुमूल्य तत्व नष्ट हो जाते है । 
इससे विजय के कई मौके लुप्त हो जाते है ।

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