रंग अपनी ओजस्विता और प्रकाश से मानव मस्तिष्क और शरीर को प्रभावित करते है। सूर्य के श्वेत उज्जवल प्रकाश में सात रंग अंतर्निहित होते है। लाल पीला हरा, आसमानी, नीला और बैंगनी। ये सात रंग वस्तुत सात रंग की रश्मियाँ है। इन्हें त्रिआयामी शीशे से देखा जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने भी परीक्षणों के आधार पर रंगों के लक्ष्ण और प्रभावों की व्याख्या की है। वर्तमान समय में चल रही प्रचलित रंगों द्वारा चिकित्सा मानव जीवन में रंगों की महत्ता का बड़ा उदहारण है।
जीवन में अनुकूल रंगों का का उपयोग न केवल भाग्य को बलवान बनाता है, प्राक्रतिक रोगों का निदान भी कर सकता ही। मनुष्य के मस्तिष्क व् शरीर को प्रभावित करने वाले कुछ रंग ऐसे है-
लाल
पवित्रता, शान्ति, विद्या और सभ्यता का प्रतीक है। इसके प्रयोग से चंचलता समाप्त होती है, संयमी व् सहनशीलता का परिचायक और विद्यार्थियों के लिए शुभ फल दायक है।
नीला
स्नेह, शान्ति, बल-वीर भाव का प्रतीक है। व्यक्ति को सत्यभाषी, धार्मिक व् धैर्यवान बनाता है। इस रंग से अधिकाधिक प्रयोग से उच्च रक्तचाप, श्वास रोग आदि से राहत मिलती है।
पीला
आनंद, कीर्ति, सुख, आरोग्यता व् योग्यता का परिचायक। हल्का या मिश्रित रंग बिमारी का सूचक है।पाचन के लिए लाभदायक . इसे पसंद करने वाले प्रशंसा के भूखे होते है।
हरा
राजसी ठाठ, गर्व्शीलता, निरंकुशता का प्रतीक। मन को ताजगी शीतलता देने वाला। इसे चाहने वाले कर्मशील व् उन्साही होते है।
नारंगी
रोग प्रिरोधक क्षमता बढाता है। इसे पसंद करने वाले व्यक्ति दयालु होते है। यह धार्मिकता , आध्यात्मिकता का परिचायक है।
काला
सत्ता को नकारने वाला विमुखता प्रदर्शित करता है। इसे पसंद करने वाले हार न मानने वाले होते है। सुरक्षात्मक कवच के रूप में इस्तेमाल होता है।
सुविचार-मुस्कान की कोई कीमत नहीं होती,यह पाने वाले को खुशहाल करती हैऔर देने वाले का कुछ भी घटता नहीं।
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