प्रत्येक व्यक्ति उम्र भर स्वस्थ, निरोग, तथा चुस्त-दुरुस्त रहना चाहता है।स्वयं को फिट रखने के लिए जिम में जाकर एक्सरसाईज भी करता है। लेकिन उसको छोड़ते ही हालत पूर्ववत हो जाती है। अब चिकिक्त्सा विज्ञानियों का कहना है की फिट रहने के लिए जिम जाकर वजन उठाने की जरूरत नहीं है। यह काम साईकल चलने से भी पूरा हो सकता है। तीन देशों में किये गए इस अध्ययन के अनुसार शापिंग, बाजार और दफ्तर जाने के लिए साईकल के नियमित उपयोग आपको जिम में कसरत करने के मुकाबले आपको ज्यादा फिट रख सकता है।
साईकल को हर उम्र का व्यक्ति चला सकता है। बच्चे, युवा, किशोर और वृद्ध सभी अपनी अपनी क्षमता और उम्र के अनुसार साईकल चला सकते है। कम दूरी की आवाजाही के लिए साईकल को अपना कर व्यायाम की पूर्ति की जा सकती है। यह जिम जाकर वजन उठाने और शरीर को थकाने से सस्ता सौदा है। आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाए तो साईकल चलने से महंगे पेट्रोल की बचत होती है तथा पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
लड़कियों व महिलाओं के लिए तो यह सर्वोत्तम व्यायाम है। इसे वे आसानी से कर सकती है।
साईकल को गरीबी तथा पिछड़ेपन का प्रतीक न मानें। इसे चलाने अपनी सेहत के लिए जरुरी समझें।विदेशों में अमीर लोग भी साईकल चलाते देखे जा सकते है। जिससे वे जीवन भर चुस्त दुरुस्त रहते है। इसलिए साईकल चलाते समय किसी तरह की शर्म या संकोच नहीं करना चाहिए। साईकल चलने से पूरे शरीर की एक्सरसाईज होती है। जिनके घुटने दुखते हो या जोड़ो के दर्द सताते हो, उन्हें साईकल अवश्य चलानी चाहिए। इससे शरीर के जोड़ खुल जाते है और उनमे लोच आती है। डायबटीज के मरीजो के लिए स्यिक्ल चलन किसी दावा से कम नहीं। इससे काफी कैलोरी बर्न होती है। मोटापे से पीड़ित लोगो को साईकल अवश्य चलानी चाहिए। यह मोटापा बदने नहीं देता और अगर है तो उसे घटाता है। साईकल चलाने से पैरों की पिंडलियों की मांसपेशियां और जांघें भी मजबूत होती है। इससे शरीर में रक्त संचालन भी सही ढंग से होता है जिससे फेफड़े भी मजबूत होते है।
सुविचार-
बहुत से लोग इतना पैसा खर्च करते है, जितना वह कमा नहीं सकते,
वो वस्तुए खरीदने के लिए, जिनकी उन्हें जरुरत नहीं है,उन लोगों को प्रभावित करने के लिए, जिनहें वह पसंद नहीं करते ।
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