रविवार, 3 फ़रवरी 2013

जब आये बुखार .... When Fever Knocks....


मौसम कैसा भी क्यों न हो, कोई न कोई व्यक्ति बुखार से पीड़ित मिल ही जाएगा। शायद यही कारण है की हम बुखार को गंभीरता से नहीं लेते। जो कभी जानलेवा भी बन सकता .
बुखार आने पर मरीज को आरामदायक बिस्तर पर लेटाना चाहिए। तापमान लेने के बाद मरीज को ज्यादा गर्म वस्त्रों से न ढकें। डाक्टर से मरीज की पूरी पूछताछ करें। सामान्यता बुखार में दी जाने वाली दवाओं से मरीज का गला सूखने लगता है। ऐसी स्तिथि में मरीज को पानी देने से आना कानी न करें। निम्बू-पानी, सूप व् फ्रूट जूस, मरीज के लिए अधिक लाभप्रद होता है।
मरीज को यथासंभव हवादार या जालीदार कमरें में सुलाएं। और उसके कपडे डेटोल से साफ़ करके पहनाएं। बुखार के प्रारम्भिक 24-48 घंटों में मरीज को पूर्ण आराम देना चाहिए क्योंकि उस वक्त वह अति कमजोर होता है। बुखार के वक्त मरीज के मुंह का स्वाद बदल जाता है। तथा खाने के प्रति उसकी रुचि ख़त्म हो जाती है। ऐसे में उसे खाने के लिए जबरदस्ती न करें। ऐसे समय में मरीज का कसरत करना वर्जित है। 

सावधानियां-

+ बुखार होने पर मरीज को पैरासिटामोल के अतिरिक्त अन्य कोई दवा न दे। एक-दो दिन में बुखार ठीक न होने पर चिकित्सक को दिखाएँ। एंटीबायटक दवाएं कभी भी डाक्टरी सलाह के बिना न ले।

+ थर्मामीटर को धोकर, वैसलीन या क्रीम लगाकर एंटीसैप्टिक घोल में रखें।

+ मरीक के कपडे डेटोल से धोये। चिकित्सक द्वारा दी गयी हिदायतों के  ही अनुसार ही मरीज को दवा दे।



सुविचार-

उत्साह ही बलवान होता है, उत्साह से बढ़कर दूसरा कोई बल नहीं है । उत्साही पुरुष के लिए इस संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है ।

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