सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

मधुबाला जन्मदिन पर विशेष Tribute To Madhubala

 
बिना अश्लील हुए सैक्सी थी मधुबाला 

मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ था। उनका वास्तविक नाम मुमताज जहाँ बेगम था। 1942 में 9 साल की उम्र में उन्होंने एक बल कलाकार के रूप में 'बसंत' से अपने अभिनय सफ़र की शुरुआत की थी। नायिका के तोर पर उनकी पहली फिल्म थी 'नीलकमल'। 

अपनी बेपनाह ख़ूबसूरती और अदायगी के बल पर मधुबाला वर्षों तक फिल्म जगत में छाई रही। उन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। 

उस दौर में जब फिल्म की नायिका ज्यादा खूबसूरत नहीं हुआ करती थी , मधुबाला पहली खूबसूरत अभिनेत्री थी। दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला सौन्दर्य मधुबाला के पास था . सिनेमा का पर्दा उन दिनों मदुबाला के सौन्दर्य से झिलमिला उठता था। चान्द-सा मुखड़ा और हिरनी जैसी बड़ी आँखों वाली मधुबाला को देखकर दर्शक ठगा-सा रह जाता था। 

उनकी सुन्दरता क्लासिक थी। जब मधुबाला पानी में भीगी हुयी होती थी तब ज्यादा खूबसूरत नजर आती थी। उनके मादक और आकर्षक रूप से प्रभावित होकर ही बाद में कई नायिकाओं को परदे पर भिगोकर पेश करने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। लेकिन 'बरसात की रात' और 'चलती का नाम गाडी' जैसी कुछ फिल्मो में भीगी हुयी गुलाबी रंगत वाली मधुबाला का  भी दूसरी अभिनेत्री मुकाबला नहीं कर सकी।

मधुबाला जैसी बात तो कभी बन ही नहीं सकी . मधुबाला बिना अश्लील हुए भी जबरदस्त सैक्सी थी। उनका खिल हुआ हँसता हुआ चेहरा उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। उनकी हंसी में सैकड़ों घुंघरुओं का सुरीलापन था। मोतियों जैसी चमकदार मुस्कान तो देखते ही बनती थी। उनके शरीर 
का हर अंग खिलखिलाता और मुस्कुराता हुआ नज़र आता था। जिस पर दर्श्क्बुरी तरह से फ़िदा थे। 

मधुबाला की इन्ही खूबियों की वजह से उन्हें सौन्दर्य की  देवी 'वीनस' का दर्जा मिला था। मधुबाला केवल सुन्दर ही नहीं, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री भी थी। किरदारों के मनोभाव को व्यक्त करने में उनकी बड़ी-बड़ी आँखें कमाल का काम करती थी। 

अम्धुबाला के उत्कृष्ट अभिनय और दिलकश सौन्दर्य के साथ फिल्म का पर्दा झिलमिला उठता था। वह ब्लैक एंड व्हाईट फिल्मों का दौर था। यदि मधुबाला आज कलर फिल्मों के दौर में होती तो अच्छों-अच्छों के होश उडा देती। जब ' मुगल-ए-आज़म' कलर प्रिंट में रीलिज़ हुयी थी तो नज़ारा देखने लायक था। 

मधुबाला का सहज स्वाभाविक अभिनय, दुःख-दर्द को चेहरे के उतार चड़ाव द्वारा निभाने की क्षमता , मोहक संवाद अदायगी और उनके अंग-प्रत्यंग द्वारा सौन्दर्य को परिभाषित करने की खासियत ऐसी थी की आज चार दशक बाद भी मधुबाला दर्शकों के जहन में रची बसी हुयी है। 13 फरवरी 1969 को 36 साल की मामूली उम्र में दिल की बिमारी ने उन्हें हमसे छीन लिया।  

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