सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

लक्ष्य में सफल होने के सरल उपाय


यदि आप किसी कार्य में सफल होना चाहते हैं या जीवन के विशिष्ट लक्ष्य में सफल होना चाहते हो तो इन बातों पर ध्यान दे-
+ हमेशा यह सोचे की हमें यह कार्य करना है।  पूरा करना है जो भी हो।  
+ 'मुझे इसमें सफलता अवश्य मिलेगी' यह संकल्प करते रहे। 
+ अपने को करता समझें और कर।  यह सोचो की करने वाले इश्वर है।  इससे अहं नहीं आएगा। साथ ही जब भी कभी विषमता आएगी तो आपका आत्मविश्वास बना रहेगा। 
+ सिर्फ वर्तमान में रह कर अपने लक्ष्य को लेकर सोचें ओर करें।  
+  एक डायरी बनायें।  उसमे योजना बना ले की प्रतिदिन कितना काम करना है।  उसमे कितना समय देना है। 
+ प्रतिदन यह भी ध्यान दे कि आप कीतने घंटे अपने लक्ष्य के लिए समय देते है।  इन घंटों को नोट करें।  रोज चेक करें।  दुसरे दिन की अपेक्षा आज आपने काम या पुरुषार्थ कम तो नही किया।
+ जब तक आपका लक्ष्य पूरा न हो किसी से लक्ष्य के बारे में न कहें। 
+ अपने को हमेशा चुस्त और सफुर्तियुक्त रहें।  
+ जीवन में समय को महत्व दें।  
+ व्यर्थ  चिंतन और वार्तालाप से अपने को  दूर रखें। 
+ नयी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो पूछने में कभी संकोच न करें।
+ आत्मविश्वास बनायें रखें।
+ प्रतिदिन मन में कहे '  मैं एक सफइंसान हूँ और मुझे जीवन में सफ होना ही है ' . 
+ समूह में रहकर अपना समय नष्ट न करें।  

रविवार, 29 सितंबर 2013

माँ की परवरिश का हिसाब


एक बेटा पढ़-लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन गया .
पिता के स्वर्गवास के बाद माँ ने
हर तरह का काम करके उसे इस काबिल बना दिया था.

शादी के बाद पत्नी को माँ से शिकायत रहने लगी के
वो उन के स्टेटस मे फिट नहीं है.
लोगों को बताने मे उन्हें संकोच होता है कि
ये अनपढ़ उनकी सास-माँ है...!

बात बढ़ने पर बेटे ने...एक दिन माँ से कहा..

" माँ ”_मै चाहता हूँ कि मै अब इस काबिल हो गयाहूँ कि कोई
भी क़र्ज़ अदा कर सकता हूँ
मै और तुम दोनों सुखी रहें
इसलिए आज तुम मुझ पर किये गए अब तक के सारे
खर्च सूद और व्याज के साथ मिला कर बता दो .
मै वो अदा कर दूंगा...!

फिर हम अलग-अलग सुखी रहेंगे.
माँ ने सोच कर उत्तर दिया...

"बेटा”_हिसाब ज़रा लम्बा है....सोच कर बताना पडेगा मुझे.
थोडा वक्त चाहिए.

बेटे ने कहा माँ कोई ज़ल्दी नहीं है.
दो-चार दिनों मे बता देना.

रात हुई,सब सो गए,
माँ ने एक लोटे मे पानी लिया और बेटे के कमरे मे आई.
बेटा जहाँ सो रहा था उसके एक ओर पानी डाल दिया.
बेटे ने करवट ले ली.
माँ ने दूसरी ओर भी पानी डाल दिया.
बेटे ने जिस ओर भी करवट ली माँ उसी ओर पानी डालती रही.

तब परेशान होकर बेटा उठ कर खीज कर.
बोला कि माँ ये क्या है ?
मेरे पूरे बिस्तर को पानी-पानी क्यूँ कर डाला..?

माँ बोली....

बेटा....तुने मुझसे पूरी ज़िन्दगी का हिसाब बनानें को कहा था.
मै अभी ये हिसाब लगा रही थी कि मैंने कितनी रातें तेरे बचपन मे
तेरे बिस्तर गीला कर देने से जागते हुए काटीं हैं.
ये तो पहली रात है
ओर तू अभी से घबरा गया ..?

मैंने अभी हिसाब तो शुरू
भी नहीं किया है जिसे तू अदा कर पाए...!

माँ कि इस बात ने बेटे के ह्रदय को झगझोड़ के रख दिया.
फिर वो रात उसने सोचने मे ही गुज़ार दी.
उसे ये अहसास हो गया था कि माँ का
क़र्ज़ आजीवन नहीं उतरा जा सकता.

माँ अगर शीतल छाया है.
पिता बरगद है जिसके नीचे बेटा उन्मुक्त भाव से जीवन बिताता है.
माता अगर अपनी संतान के लिए हर दुःख उठाने को तैयार रहती है.
तो पिता सारे जीवन उन्हें पीता ही रहता है.

हम तो बस उनके किये गए कार्यों को
आगे बढ़ाकर अपने हित मे काम कर रहे हैं.
आखिर हमें भी तो अपने बच्चों से वही चाहिए ना ........!

मजबूर माँ

एक माँ चटाई पे लेटी आराम से सो रही थी...

कोई स्वप्न सरिता उसका मन भिगो रही थी...

तभी उसका बच्चा यूँ ही गुनगुनाते हुए आया...

माँ के पैरों को छूकर हल्के हल्केसे हिलाया...

माँ उनीदी सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी...

तभी उस नन्हे ने हलवा खाने की ज़िद कर दी...

माँ ने उसे पुचकारा और फिर गोद मेले लिया...

फिर पास ही ईंटों से बने चूल्हे का रुख़ किया...

फिर उनने चूल्हे पे एक छोटी सी कढ़ाई रख दी...

फिर आग जला कर कुछ देर उसे तकती रही...

फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है येपानी...

क्या सुनोगे तब तक कोई परियों वाली कहानी...

मुन्ने की आँखें अचानक खुशी से थीखिल गयी...

जैसे उसको कोई मुँह माँगी मुराद हो मिल गयी...

माँ उबलते हुए पानी मे कल्छी ही चलातीरही...

परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही...

फिर वो बच्चा उन परियों मे ही जैसे खो गया....

सामने बैठे बैठे ही लेटा और फिर वही सो गया...

फिर माँ ने उसे गोद मे ले लिया और मुस्काई...

फिर पता नहीं जाने क्यूँ उनकी आँखभर आई...

जैसा दिख रहा था वहाँ पर सब वैसा नही था...

घर मे इक रोटी की खातिर भी पैसा नही था...

राशन के डिब्बों मे तो बस सन्नाटापसरा था...

कुछ बनाने के लिए घर मे कहाँ कुछ धरा था...

न जाने कब से घर मे चूल्हा ही नहींजला था...

चूल्हा भी तो बेचारा माँ के आँसुओं सेगला था...

फिर उस बेचारे को वो हलवा कहाँ से खिलाती...

उस जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती...

वो मजबूरी उस नन्हे मन को माँ कैसे समझाती...

या फिर फालतू मे ही मुन्ने पर क्यूँ झुंझलाती...

इसलिए हलवे की बात वो कहानी मे टालती रही...

जब तक वो सोया नही, बस पानी उबालतीरही

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

वक्त नहीं - कविता



हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में ,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .

सारे रिश्तोंको तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त
नहीं ..

सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं .

आखों में है नींद भरी ,
पर सोने का वक़्त नहीं .
दिल है ग़मो से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .

पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
की
थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसानों कीक्या कद्र करें ,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं

तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं .......

सोमवार, 26 अगस्त 2013

ईश्वर का अस्तित्व

एक आदमी हमेशा की तरह अपने नाई की दूकान पर बाल कटवाने गया . बाल कटाते वक़्त अक्सर देश-दुनिया की बातें हुआ करती थीं ….आज भी वे सिनेमा , राजनीति , और खेल जगत , इत्यादि के बारे में बात कर रहे थे कि अचानक भगवान् के अस्तित्व को लेकर बात होने लगी .

नाई ने कहा , “ देखिये भैया , आपकी तरह मैं भगवान् के अस्तित्व में यकीन नहीं रखता .”

“ तुम ऐसा क्यों कहते हो ?”, आदमी ने पूछा .

“अरे , ये समझना बहुत आसान है , बस गली में जाइए और आप समझ जायेंगे कि भगवान् नहीं है . आप ही बताइए कि अगर भगवान् होते तो क्या इतने लोग बीमार होते ?इतने बच्चे अनाथ होते ? अगर भगवान् होते तो किसी को कोई दर्द कोई तकलीफ नहीं होती ”, नाई ने बोलना जारी रखा , “ मैं ऐसे भगवान के बारे में नहीं सोच सकता जो इन सब चीजों को होने दे . आप ही बताइए कहाँ है भगवान ?”


आदमी एक क्षण के लिए रुका , कुछ सोचा , पर बहस बढे ना इसलिए चुप ही रहा .


नाई ने अपना काम खत्म किया और आदमी कुछ सोचते हुए दुकान से बाहर निकला और कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया. . कुछ देर इंतज़ार करने के बाद उसे एक लम्बी दाढ़ी – मूछ वाला अधेड़ व्यक्ति उस तरफ आता दिखाई पड़ा , उसे देखकर लगता था मानो वो कितने दिनों से नहाया-धोया ना हो .


आदमी तुरंत नाई कि दुकान में वापस घुस गया और बोला , “ जानते हो इस दुनिया में नाई नहीं होते !”

“भला कैसे नहीं होते हैं ?” , नाई ने सवाल किया , “ मैं साक्षात तुम्हारे सामने हूँ!! ”

“नहीं ” आदमी ने कहा , “ वो नहीं होते हैं वरना किसी की भी लम्बी दाढ़ी – मूछ नहीं होती पर वो देखो सामने उस आदमी की कितनी लम्बी दाढ़ी-मूछ है !!”


“ अरे नहीं भाईसाहब नाई होते हैं लेकिन बहुत से लोग हमारे पास नहीं आते .” नाई बोला


“बिलकुल सही ” आदमी ने नाई को रोकते हुए कहा ,” यही तो बात है , भगवान भी होते हैं पर लोग उनके पास नहीं जाते और ना ही उन्हें खोजने का प्रयास करते हैं, इसीलिए दुनिया में इतना दुःख-दर्द है.” . 


शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

एक पेड़ का जंगल





दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ 14400 वर्ग मीटर में फैला है।  कोलकाता  के पास आचार्य जगदीश चन्द्र बोस बाटेनिकल  गार्डन में लगा यह बरगद का पेड़ 250 वर्ष से अधिक समय में इतने बे क्षेत्र में फ़ैल पाया  है। ऐसे में दूर से देखने पर यह अकेला  बरगद का पेड़ एक जंगल क तरह नज़र आता है। दरअसल, बरगद के पेड़ की शाखाओं से जटाये  पानी की तलाश में निचे जमीन की और बदती है।  ये  बाद में   एक जड़ के रूप में पेड़ को पानी और सहारा देने लगती है।  ये सिलसिला चलता जाता है। फ़िलहाल इस बरगद की 2800 से अधिक जटाएं जड़ का रूप ले चुकी है।  19 वीं शताब्दी में यहाँ आये २ चक्रवर्ती तूफानों ने इसकी 50 फीट चौड़ी मूल जड़ को उखाड़ दिया , जो बाद में फंगस लग जाने की कारन खराब हो गयी।  1925 में इस जड़ को काट कर अलग कर दिया गया।  मगर तब तक पेड़ की  कई जटाएं स्थायी जड़ के रूप ले चुकी  थी।  इस कारन  बरगद लगातार बढता जा रहा है। 

सोमवार, 5 अगस्त 2013

खाकी वाले का डर - लघुकथा


लुटेरों को लुटा हुआ माल  वापस  करता देख कर सभी यात्री हैरान रह गए।  एक यात्री ने डरते हुए  - डाकूजी आपने बस को अगवा करके हम सभी यात्रियों से रूपए पैसे जेवरात सब छीन लिए।  फिर सबका माल वापस दे रहे हो , ऐसी दया किसलिए ?
डाकू ने गरजते हुए कहा - ये कोई दया नहीं है।  उस खाकी वाले का डर है जिसे हर लूट के पीछे पचास हजार  रूपए देने पड़ते है।  तुम सबके पास तो चालीस हजार भी नहीं निकले।  जब बस लुटने की खबर कल अखबार में छपेगी तो बाकी रूपए हम कहा से देंगे ?


सुविचार-
खूबसूरत लोग अच्छे नहीं होते,
अच्छे लोग खूबसूरत होते है।   

शुक्रवार, 21 जून 2013

इंसानीयत - व्यंग्य

मैं उस दिन बाज़ार से लौट रहा था. सामने से एक 8 -10 बर्ष का लड़का एक हाथ का ठेला खींचता हुआ चला आ रहा था.ढलान होने के कारण ठेले की गति कुछ अधिक थी, अतः काफी बचाने पर भी वह एक सज्जन की साइकिल से थोडा सा टकरा गया. उन सज्जन ने उस लड़के को 2 थप्पड़ रसीद किये और चलते बने. राह चलते लोगों में से भी, किसी ने उसे बचाने कोशिश नहीं की| थोड़ी दूर पर एक ताँगा एक कुत्ते के पैर को कुचलता हुआ निकल गया, कुत्ता जोर से चीखने लगा, आसपास से 2 कुत्ते आकर उसके पास जमा हो गये और उसका पैर चाटने लगे।

गुरुवार, 13 जून 2013

हाजिर जवाबी के फायेदे - लघुकथा


एक वृद्ध भिखारी दिनभर घूमकर खूब सारा  अनाज इक्कठा करता।  लोगों को वह उसकी जरुरत से अधिक लगता था।  एक दिन लोगो ने उससे पूछा- इतने सारे अनाज का क्या करते हो ? वह बोला - मुझे चार सेर अनाज नित्य मिलता है।  एक सेर मैं एक राक्षसी को देता हूँ।  एक सेर अनाज उधार देता हूँ।  एक सेर बहते पानी में बहा देता हूँ।  और एक सेर से मंदिर के देवता को भोग लगाता हूँ। लोगो को  कुछ समझ में नहीं आया।  वे उसे पाखंडी समझकर राजा  के पास  ले गए । राजा से वह बोला- राक्षसी मेरी पत्नी है , जो  केवल खाना , पहनना और सोना जानती है। किन्तु उसे खिलाना मेरा कर्तव्य हैं।  इसलिए एक सेर अनाज उसे देता है।  उधार मैं अपने पुत्र को देता हूँ।  वह छोटा है इसलिए उसका पेट भरना मेरा दाय्तित्व हैं।  जब मैं बूढा हो  जाऊँगा और वह जवान हो जाएगा तो मुझे कमाकर  खिलायेगा। इसे मैं उधार देना कहता हूँ।  मेरी बेटी जब बड़ी होगी तो अपने पति के घर चली जाएगी।  उसे खिलाने का मतलब बहते पानी में अनाज फेंकना ही है, किन्तु वह मेरा धर्म भी है।  मेरा यह शरीर मंदिर है और उसमे बसने वाले प्राण मंदिर के देवता है।  यदि इन्हें भोग न लगाऊ तो मेरे परिवार का गुजर बसर कैसे हो ?

राजा भिखारी की हाजिर जवाबी से प्रसन्न हुआ और कहा - तुम तो पंडित जान पड़ते हो।  आज से तुम्हें अपना विशेष सलाहकार नियुक्त करता हु। 
इस प्रकार भिखारी ने अपनी चतुराई से अपनी जीवन की कायापलट कर दी।  

हाजिर जवाबी एक ऐसा गुण है जो कोगो को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।  यदि इसे अपने स्वभाव का  अंग बना ले तो अनेक अवसरों पर सफलता मिलती है। 

गुरुवार, 16 मई 2013

उदास निराश व् हार से बचें


कई लोग ऐसे है जो उदास और हताश रहना पसंद करते है।  क्योंकि वे बहाने बनाने से खुद को दूर नहीं रख पाते है।  इसलिए खुश रहने के  लिए इन बहानों से दूर ही रहे तो अच्छा  है…. 
* मेरे पास किसी तरह का बदलाव लाने का समय नहीं है। 
* मुझे नहीं लगता की मैं  इस लायाक हूँ।
* किसी को फर्क नहीं पड़ता की मुझे क्या पसंद है। 
* कोई भी मुझे समझता नहीं है। 
* हर गलत चीज का जिम्मेदार मैं हूँ।  इसलिए मैंने खुद के बारे में कभी नहीं सोचा। 
* फिलहाल सही वक़्त नहीं है।  
* ये काम बहुत ज्यादा है। 
* दूसरों को मेरी गलतियां ही नजर आती है। 
* मैं किसी बड़े ब्रेक के इन्तजार में हूँ।  
* मैं अभी तियार नहीं हूँ। 
* मैं कभी परफैक्ट नहीं बन सकता हूँ तो कोशिश ही क्यों करूँ। 
* मैं दूसरों की तरह अच्छा नहीं बन सकता इसलिए उस और ध्यान ही नहीं देता।

गुरुवार, 9 मई 2013

इन्सान की तीस गलतियां Thirty Mistakes Of Human Being


1. इस ख्याल में रहना कि जवानी और
तन्दुरुस्ती हमेशा रहेगी।
2. खुद को दूसरों से बेहतर समझना।
3. अपनी अक्ल को सबसे बढ़कर समझना।
4. दुश्मन को कमजोर समझना। 5. बीमारी को मामुली समझकर शुरु में इलाज न करना।
6. अपनी राय को मानना और दूसरों केमशवरें
को ठुकरा देना।
7. किसी के बारे में मालुम होना फिर
भी उसकी चापलुसी में बार-बार आ जाना।
8. बेकारी में आवारा घुमना और रोज़गार की तलाश न करना।
9. अपना राज़ किसी दूसरे को बता करउससे छुपाए
रखने की ताकीद करना।
10. आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
11. लोगों की तक़लिफों में शरीक न होना, और उनसे
मदद की उम्मीद रखना। 12. एक दो मुलाक़ात में किसी के बारे में अच्छी राय
कायम करना।
13. माँ-बाप की खिदमत न करना और अपनी औलाद
से खिदमत की उम्मीद रखना।
14. किसी काम को ये सोचकर
अधुरा छोड़ना कि फिर किसी दिन पुरा कर लिया जाएगा।
15. दुसरों के साथ बुरा करना और उनसे अच्छे
की उम्मीद रखना।
16. आवारा लोगों के साथ उठना बैठना।
17. कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान न देना।
18. खुद हराम व हलाल का ख्याल न करना और दूसरों को भी इस राह पर लगाना।
19. झूठी कसम खाकर, झूठ बोलकर, धोखा देकर
अपना माल बेचना, या व्यापार करना।
20. इल्म, दीन या दीनदारी को इज्जतन समझना।
21. मुसिबतों में बेसब्र बन कर चीख़ पुकार करना।
22. फकीरों, और गरीबों को अपने घर से धक्का दे कर भगा देना।
23. ज़रुरत से ज्यादा बातचीत करना।
24. पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार नहीं रखना।
25. बादशाहों और अमीरों की दोस्तीपर यकीन
रखना।
26. बिना वज़ह किसी के घरेलू मामले में दखल देना। 27. बगैर सोचे समझे बात करना।
28. तीन दिन से ज्यादा किसी का मेहमान बनना।
29. अपने घर का भेद दूसरों पर ज़ाहिर करना।
30. हर एक के सामने अपना दुख दर्द सुनाते रहना।

मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

चन्द्रगुप्त व चाणक्य - chandragupta and chanakya

चन्द्रगुप्त व चाणक्य के बीच राज्याभिषेक से पहले संवाद

चाणक्य : ये क्या सुन रहा हूँ मैं चन्द्रगुप्त
चन्द्रगुप्त : आपने ठीक ही सुना है आचार्य, नहीं बनना मुझे मगद का सम्राट
चाणक्य : क्यों !
चन्द्रगुप्त : जब से यहाँ आया हूँ अपनी इच्छा से सांस तक नहीं ले सका हूँ। आपने मुझे एक स्वपन दिया था चक्रवती सम्राट का, चक्रवती साम्राज्य का लेकिन यहाँ आने के बाद पता चला के विष्णुगुप्त के लिए सम्राट एक वेतन लेने वाले नौकर से बढकर कुछ नहीं।
चाणक्य : तूने ठीक ही सुना है चन्द्रगुप्त। मेरे लिए सम्राट एक नौकर से बढकर कुछ नहीं।
चन्द्रगुप्त : तो रखिये अपना साम्राज्य मुझे नहीं बनना सम्राट अगर यही सुख है सम्राट बनने का।
चाणक्य : चन्द्रगुप्त! तुझे सुखी होना है।
चन्द्रगुप्त : क्या सम्राटों को सुखी नहीं होना चाहिए।
चाणक्य : मूर्ख! जब तक तेरे साम्रज्य में एक भी व्यक्ति भूखा है तो क्या तू सुखी रह पायेगा। सुख शिक्षक और सम्राटों के भाग्य में नहीं होता। भूल गया तू चन्द्रगुप्त मैंने तुझे साम्राज्य देने का वचन दिया था सुख देने का नहीं। भूल गया तू के प्रजा के हित में ही राजा का हित है। प्रजा के सुख में ही राजा का सुख है, सुख चाहता है तो पहले प्रजा को सुखी बना। तूने साम्राज्य अर्जित किया है सुख
अर्जित करने का मार्ग तेरे आगे खुला है।

मित्रो चन्द्रगुप्त अपने जीवन के अन्तकाल में 40 दिनों तक भूखा रहता है क्योंकि उस समय भयंकर अकाल पडा था।

गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

साईं के रहस्य Sai Baba


साईं के रहस्य फिल्म में साईबाबा की भूमिका निभा चुके अशोक बागुल आज भी भीख मांग रहे है।  दरअसल, फिल्म में काम मिलने से पहले भी वह साईबाबा के वेश में भीख मांगते थे।  इसी वजह से उन्हें फिल्म के लिए चुन गया था।  बागुल ने फिल्म के मेहनताने के रूप में एक रूपया भी नहीं लिया।  वह औरंगाबाद से मनमाड रेलमार्ग पर साईबाबा के वेश में भीख मांगते है।  इस फिल्म की शूटिंग शिर्डी, अजमेर, नोएडा में हुयी थी।  इस दौरान भी बागुल सबको चकमा देकर भीख मांगने निकल पड़ते थे।


सुविचार-
पुस्तकें आपके मस्तिष्क को खोलती है,
विस्तार देती है,
और आपको इस तरह से सुद्रिन करती है जैसा कोई और नहीं कर सकता।

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

आनंद व् शांति के मायने


एक बार एक मछुआरा समुद्र किनारे आराम से छांव में बैठकर शांति से बीडी पी रहा था। अचानक एक बिजनैसमैन वहाँ से गुजरा और उसने मछुआरे से पूछा "तुम काम करने के बजाय आराम क्यों फरमा रहे हो?"

इस पर गरीब मछुआरे ने कहा "मै आज के लिये पर्याप्त मछलियाँ पकड चुका हूँ ।"
यह सुनकर बिज़नेसमैन गुस्से में आकर
बोला "यहाँ बैठकर समय बर्बाद करने से बेहतर है कि तुम क्यों ना और मछलियाँ पकडो ।"

मछुआरे ने पूछा "और मछलियाँ पकडने से
क्या होगा ?"

बिज़नेसमैन : उन्हे बेंचकर तुम और ज्यादा पैसे कमा सकते हो और एक बडी बोट भी ले सकते हो ।

मछुआरा :- उससे क्या होगा ?

बिज़नेसमैन :- उससे तुम समुद्र में और दूर तक जाकर और मछलियाँ पकड सकते हो और ज्यादा पैसे कमा सकते हो ।

मछुआरा :- "उससे क्या होगा?"

बिज़नेसमैन : "तुम और अधिक बोट खरीद सकते हो और कर्मचारी रखकर और अधिक पैसे कमा सकते हो ।"

मछुआरा : "उससे क्या होगा ?"

बिज़नेसमैन : "उससे तुम मेरी तरह अमीर
बिज़नेसमैन बन जाओगे ।"

मछुआरा :- "उससे क्या होगा?"

बिज़नेसमैन : "अरे बेवकूफ उससे तू अपना जीवन शांति से व्यतीत कर सकेगा ।"

मछुआरा :- "तो आपको क्या लगता है, अभी मैं क्या कर रहा हूँ ?!!"

बिज़नेसमैन निरुत्तर हो गया ।

मोरल – "जीवन का आनंद लेने के लिये कल का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं । और ना ही सुख और शांति के लिये और अधिक धनवान बनने की आवश्यकता है । जो इस क्षण है, वही जीवन है। दिल से जियो" ।


सुविचार-
 दूसरों को सहयोग देना ही 
उन्हें अपना सहयोगी बनाना है

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

छोटी जगह का बड़ा उपयोग Interior



सीढ़ियों के यनीचे खाली जगह को रसोई, अलमारी, साईकिल रखने के लिए या ऑफिस में बदलने से इसका फायदा उठाया जा सकता है । आप इनमेसे किसी भी तरीके को अपना सकते है -

+ सीढ़ियों के नीचे रसोई खूबसूरत दिखेगी । ऐसा तभी करें जब घर में जगह की तंगी हो । इस जगह में माड्युलर किचन की मदद से रसोई सैट करना आसान होगा । इससे चुल्हा गैस व सिंक की टैंशन नहीं रहेगी । दीवार पर अलमारी या स्लैब बनाकर बर्तन रख लें । दाल मसालें या रसोई में इस्तेमाल होने वाली दूसरी चीजों को रखने के लिए स्पाइस वाल बना सकते है । इसमें लकड़ी के छोटे छोटे ब्लॉक बनाए । इनमे छोटी बोतले, मसालें रखने से दीवार खूबसूरत दिखेगी ।

+ खाली ज़गह पर जूते या घर का पुराना समान रखना पुराना कान्सेप्ट है । इस जगह पर बच्चो की साइकिल या बाइक को आसानी से रखा जा सकता है । बाकि जगह पर छोटे बड़े शैल्फ लगाकर फोटोफ्रेम, डेकोरेशन का समान जैसे वास आदि रखें । इस जगह को एक्स्ट्रा स्टोर की तरह इस्तेमाल कर सकते है ।

+ यहां पर स्टडी कार्नर या ऑफिस भी अच्छा दिखेगा । यह जगह इन दोनो चीजों के लिए परफैक्ट है । टेबल पर कम्प्यूटर या लैपटॉप रखिए । और आगे वाली दिवार पर शेल्फ़ बनाकर किताबें व स्टेशनरी का बाकी समान रख सकते है ।

+ इस जगह को सिटिंग लाउंज में बदला जा सकता है । ये माडॅर्न कांसेप्ट है । इसके लिए लो-लेवल सोफा लगाएं । सीढ़ियों के बिल्कुल नीचे वाली जगह पर पेंटिंग लगा सकते है । यहां फायरप्लेस या एलसीडी भी रख सकते है ।


सुविचार-
समय का सदुपयोग करनें की कला जिसमे आ गयी,
उसने सफलता के रहस्य को समझ लिया। 

रविवार, 24 मार्च 2013

विश्व जल दिवस पर विशेष World Water Day

मार्च 2 2 

आज के मुकाबले 2 0 5 0  तक हमें बीस प्रतिशत अधिक पानी की  जरुरत होगी अन्न उगने के लिये. भविष्य बचाना है तो आज से ही अपना वाटर फुटप्रिंट घटाना शुरू कर दिजिये. 
क्या है वाटर फुटप्रिंट 
पानी के सामान्य उपयोग के विपरीत यह वस्तुओ और सेवाओं के उत्पादन के लिए उपयोग में आये पानी का कुल लेख जोखा है. यानी चाहे जींस हो या फिर चावल , दोनों के उत्पादन में पानी जो खर्च हुआ है, वह उसका वाटर फुटप्रिंट है. मांसाहार की तुलना में शाकाहार में कम पानी इस्तेमाल होता है. आप अपने लाईफ स्टाईल और फ़ूड हैबिट्स के आधार पर अपना फुटप्रिंट पता कर सकते है. http://www.waterfootprint.org/?page=cal/WaterFootprintCalculator

अमेरिका का वाटर फुट प्रिंट ज्यादा है जो की 2 5 0 0 क्यूबिक मीटर प्रतिवर्ष . क्योकि वहाँ मांस खाने वाले लोगों तादाद ज्यादा है. 
जबकि  भारत का वाटर फुट प्रिंट 9 8 0 क्यूबिक मीटर प्रतिवर्ष है . क्योकि यहाँ की तीस प्रतिशत से ज्यादा की आबादी शाकाहारी है. 
यदि सभी धरतिवासी एक ओसत अमेरिकी जैसी जिंदगी जियें तो हमें पृथ्वी जैसे 3.5  ग्रह की जरुरत 
होगि. 


सुविचार:
जल देवता है.  इस देवता को दूषित और नष्ट करने वाले खुद विनाश को प्राप्त होते है. 


शनिवार, 23 मार्च 2013

आप की तरक्की में बाधक कौन

एक कंपनी के कर्मचारी जब लंच कर के वापस आये तो नोटिस बोर्ड पर एक नोटिस लगा था कि कल कंपनी का एक कर्मचारी का निधन हो गया जो आप कि तरक्की को रोके हुए था - उसकी श्रद्धांजलि सभा में सबको मीटिंग हाल में बुलाया गया था | सब नियत समयपर पहुचे तो मीटिंग हाल में सफ़ेद पर्दा पड़ा था - सब मे कौतुहल था कि आखिर कौन कर्मचारी का देहांत हो गया - कौन उनकी तरक्की को रोके हुए था - सभी लोगो से अनुरोध किया गया कि आप एक एक कर के परदे के पीछे जाये और उस कर्मचारी को श्रद्धांजलि दे | कर्मचारी उस परदे के पीछे जाते और अवाक् होकर बाहर निकलते - उसका राज़ आखिर क्या था - अंत में कंपनी के एक बड़े अधिकारी उस परदे के पीछे जाते है - उस दीवार पर लगी तस्वीर को देख कर वो भी अवाक् रह जाते है - ऐसा क्या था उस तस्वीर में ?.
.
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वास्तव में वो कोई तस्वीर नथी वो एक "आइना" था और उसके नीचे लिखा था दुनिया में केवल एक ही व्यक्ति था जो आप कि तरक्की में बाधा था वो स्वयं आप - जब आप अपने अधीनस्थ कर्मचारियो से बिना किसी वैयक्तिक प्रेम के एक जैसा व्यवहार करने लगेगे, और उनके नकारात्मक विचारो से पहले अपने को दोषरहित करेंगे - फिर आप को सीमाओ में कोई नहीं बांध पायेगा - आप बहुत तरक्की करेंगे...   

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

ज्ञान की सार्थकता


एक व्यक्ति एक प्रसिद्ध संत के पास गया और बोला गुरुदेव मुझे जीवन के सत्य का पूर्ण ज्ञान है | मैंने शास्त्रों का काफी ध्यान से अध्ययन किया है | फिर भी मेरा मन किसी काम में नही लगता | जब भी कोई काम करने के लिए बैठता हूँ तो मन भटकने लगता है तो मै उस काम को छोड़ देता हूँ | इस अस्थिरता का क्या कारण है ? कृपया मेरी इस समस्या का समाधान कीजिये |
संत ने उसे रात तक इंतज़ार करने के लिए कहा रात होने पर वह उसे एक झील के पास ले गया और झील के अन्दर चाँद का प्रतिविम्ब को दिखा कर बोले एक चाँद आकाश में और एक झील में, तुमारा मन इस झील की तरह है तुम्हारे पास ज्ञान तो है लेकिन तुम उसको इस्तेमाल करने की बजाये सिर्फ उसे अपने मन में लाकर बैठे हो, ठीक उसी तरह जैसे झील असली चाँद का प्रतिविम्ब लेकर बैठी है |
तुमारा ज्ञान तभी सार्थक हो सकता है जब तुम उसे व्यवहार में एकाग्रता और संयम के साथ अपनाने की कोशिश करो | झील का चाँद तो मात्र एक भ्रम है तुम्हे अपने काम में मन लगाने के लिए आकाश के चन्द्रमा की तरह बनाना है, झील का चाँद तो पानी में पत्थर गिराने पर हिलने लगता है जिस तरह तुमारा मन जरा-जरा से बात पर डोलने लगता है |
तुम्हे अपने ज्ञान और विवेक को जीवन में नियम पूर्वक लाना होगा और अपने जीवन को जितना सार्थक और लक्ष्य हासिल करने में लगाना होगा खुद को आकाश के चाँद के बराबर बनाओ शुरू में थोड़ी परेशानी आयेगी पर कुछ समय बात ही तुम्हे इसकी आदत हो जायेगी |


सुविचार:
एक बार सहायता न करने पर
पहले की गयी समस्त
सहायताओं की गिनती
समाप्त हो जाती है l

गुरुवार, 21 मार्च 2013

ठण्डी रोटी का अर्थ

एक लड़का था. उसकी माँ ने उसका विवाह कर दिया. लेकिन लड़का कुछ नहीं कमाता था. माँ जब भी उसको रोटी परोसती थी, तब वह कहती कि बेटा, ठंडी रोटी खा लो. लड़के की समझ में यह नहीं आया कि माँ ऐसा क्यों कहती है. फिर भी वह चुप रहा. एक दिन उसकी माँ काम से बाहर गई तो जाते समय अपनी बहू को कह गई कि जब लड़का आए तो उसे रोटी परोस देना. रोटी परोसकर कह देना कि ठण्डी रोटी खा लो. उसने अपने पति से वैसा हीं कह दिया तो वह चिढ़ गया कि माँ तो कहती हीं है, यह भी कहना सीख गई. वह अपनी पत्नी से बोला कि बताओ, रोटी ठण्डी कैसे हुई ? रोटी भी गर्म है, दाल-साग भी गर्म हैं, फिर तू ठण्डी रोटी कैसे कहती है ? वह बोली कि यह तो माँ जाने. माँ ने मुझे ऐसा कहने के लिए कहा था, इसलिए मैंने कह दिया. वह बोला कि मैं रोटी नहीं खाऊंगा. माँ तो कहती ही थी, तू भी सीख गई.
माँ घर आई तो उसने बहू से पूछा कि क्या लड़के ने भोजन कर लिया ? वह बोली कि उन्होंने तो भोजन किया हीं नहीं, उल्टा नाराज हो गए. माँ ने लड़के से पूछा तो वह बोला कि माँ, तू रोजाना कहती थी कि ठण्डी रोटी खा लो और मैं सह लेता था, अब यह भी कहना सीख गई. रोटी तो गरम होती है, तू बता कि रोटी ठण्डी कैसे है ? माँ ने पूछा कि ठण्डी रोटी किसे कहते हैं ? लड़का बोला- सुबह की बनाई हुई रोटी शाम को ठण्डी होती है. ऐसे ही एक दिन की बनाई हुई रोटी दूसरे दिन ठण्डी होती है. बासी रोटी ठण्डी और ताजी रोटी गरम होती है. माँ ने कहा- बेटा, अब तू विचार करके देख. तेरे बाप की जो कमाई है, वह ठण्डी बासी रोटी है. गरम, ताजी रोटी तो तब होगी, जब तू खुद कमाकर लाएगा. लड़का समझ गया और माँ से बोला कि अब मैं खुद कमाऊँगा और गरम रोटी खाऊंगा.

सुविचार:

 एक को मजबूती से पकड़ लो तो अनेकों की चापलूसी नहीं करनी पड़ेगी ।

बुधवार, 20 मार्च 2013

अंतर्राष्ट्रीय ख़ुशी दिवस International Happiness Day


आज ( २० मार्च २० १ ३ ) दुनिया मना रही है ख़ुशी  समर्पित पहला दिन
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से २० मार्च को हैप्पीनेस डे के रूप में मनाने का फैसला किया था . इसका उद्देश्य है की आंकड़ो के बजाय ख़ुशी के पैमाने से विकास को आंकना . हो सकता है अगले कुछ वर्षों में युएन जीडीपी के बजाय ग्रास हैप्पीनेस इंडेक्स को ही अपना ले .

छोटी बातों में बड़ी ख़ुशी
+ आज के डिजिटल युग में हाथ से लिखा पत्र मिलने पर .
+ दोपहर की नींद जब भी मिल जाए .
+ किसी की मदद करें और वो खुश हो जाए .
+ पुराने दोस्त या फोटो दिख जाए .
+ पुराने कपड़ो या किताबों से कोई नोट मिल जाए .
+ बच्चों के साथ रेत की किल्ले बनाने पर .
+ रेडियो पर पसंद का गाना चल पड़े और साथ साथ हम भी गुनगुनाते रहे.



सुविचार:
सफलता को सिर पर चढ़ने न दे
और
असफलता को दिल में उतरने न दे

रविवार, 3 मार्च 2013

कम्प्यूटर से सिरदर्द Headache Due To Computer Usage


कम्प्यूटर पर काम करने के चलते सिरदर्द की शिकायत करने वाले किशोरों की संख्या बढती जा रही है. तंत्रिका वैज्ञानिकों ने इसके लिए आँखों और  मस्तिष्क पर पड़ने वाले दबाव को जिम्मेदार बताया है. फोर्टिस हस्पताल के तंत्रिका वैज्ञानिकों ने कहा है की देश में बड़े शहरों के किशोरों में कम्प्यूटर लैपटॉप वीडियो गेम्स और अन्य इलैक्त्रोनिक्स उपकरण के बड़ते इस्तेमाल से उन्हें सिरदर्द की शिकायत का सामना करना पड़  रहा है. उन्होंने बताया की हालांकि इस विषय पर कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं किया गया है. उन्होंने बताया की  लोगों में माईग्रेन से होने वाले सिरदर्द की तुलना में तनाव से होने वाले सिरदर्द की ज्यादा शिकायत है. तंत्रिका विज्ञानी ने कहा की आम समस्या को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता . क्योकि सिरदर्द अन्य रोगों का भी लक्षण है और ये अपने आप में ही एक बिमारी है. 
एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया की सिरदर्द की अवधि पर गोर कीजिये, अगर यह लम्बे समय से है तो चिकित्सक से परामर्श किजिये. 

पीने का बहाना Wine Benefits


किसी ने सही ही कहा है की पीने वालो को पीने का बहाना चहिये. शराब पीने वालो को शराब पीने का एक और बहाना मिल गया है. एक नए शोध में पता चला है की कम मात्रा में शराब का सेवन करने से हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है. 
शराब पीने वाले अब कह सकते है की दिन के एक या दो पेग पीने से वो डाक्टर को दूर रख रख सकते है. इस शोध के मुताबिक कम शराब पीने वाले न केवल ज्यादा स्वस्थ रहते है,बल्कि उनकी हृदय रोग की आशंका भी कम हो जाती है. शोध के अनुसार शराब का ज्यादा सेवन स्वस्थ के लिए हानिकारक है. लेकिन कम सेवन स्वास्थ्य को सुधरता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक कम मात्रा में अल्कोहल का सेवन रक्त में कोलेस्ट्रोल के स्तर सहित अन्य तत्वों के स्तर पर भी सुधार ल सकता है. इससे हृदय की सुरक्षा में मदद मिल सकती है और रक्त वहिनाओ के अवरुद्ध होने का खतरा कम होता है. 
Sooooooooo CHEEEERSSSSSSS...........
पियो मगर हिसाब से……  

सूर्य से परे सबसे बड़े सौरमंडल की खोज


खगोलविदों ने धरती से 127 प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल सौरमंडल की खोज की है। इसमें सात ग्रह हैं, जो सूर्य के समान तारे की परिक्रमा लगा रहे हैं। छह साल के शोध के बाद खगोलविदों ने दावा किया है कि हमारे सूर्य से परे इससे बड़े सौरमंडल की खोज पहले कभी नहीं की गई। इसके पांच ग्रहों का आकार धरती की तुलना में 13 से 25 गुना के बीच बड़ा है।
‘द टेलीग्राफ’ में डॉ. क्रिस्टोफी लोविस के हवाले से कहा गया है कि नए सौरमंडल में पांच ग्रह होने की पुष्टि हो गई है, जबकि दो अन्य की मौजूदगी के बारे में ठोस प्रमाण मिले हैं। इसमें ग्रहों के बीच की दूरी हमारे सौरमंडल के समान ही है।
इसके ग्रहों के बीच गुरुत्वाकर्षण की अंत:क्रिया बेहद जटिल है। इसके अध्ययन से खगोलविदों को सौरमंडल के विकास की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी। यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी के खगोलविदों ने डॉ. लोविस के नेतृत्व में ही यह शोध किया था। 

अब तक 15 सौरमंडल:
खगोलविद अब तक ऐसे 15 सौरमंडलों की खोज कर चुके हैं, जिनमें कम से कम तीन ग्रह हैं। इससे पहले ‘कैंससिरी’ सौरमंडल की खोज की गई थी। उसमें पांच ग्रह और दो गैस पिंड थे।

नए सौरमंडल पर एक नजर
+ इसके मुख्य तारे का नाम ‘एचडी 10180’ है। यह धरती से 127 प्रकाश वर्ष दूर ‘हाइड्रस’ स्थित दक्षिणी तारापुंज में है।
+ इसके पांच ग्रहों का द्रव्यमान नेपच्यून के समान है। इन ग्रहों का आकार धरती के मुकाबले 13 से 25 गुना ज्यादा है।
+ अपने पैतृक तारे से इन ग्रहों की दूरी धरती से सूर्य की दूरी के मुकाबले 0.06 से 1.4 गुना ज्यादा है।
+ इन ग्रहों की परिक्रमा अवधि छह से लेकर छह सौ दिनों के बीच है।
+ इसमे शनि जैसे एक अन्य ग्रह की मौजूदगी के ठोस प्रमाण मिले हैं।
संभवत: एक अन्य ग्रह भी है, जिसका द्रव्यमान धरती की तुलना में 1.4 गुना ज्यादा है।
+ यह अपने तारे के बेहद नजदीक है। इसका एक साल धरती के सिर्फ 1.18 दिन के बराबर है।
+ यह ग्रह चट्टानी है और इतना गर्म है कि वहां जीवन संभव नहीं है।
+ खगोलविद अब तक ऐसे 15 सौरमंडलों की खोज कर चुके हैं, जिनमें कम से कम तीन ग्रह हैं।

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

मानसिक शान्ति के लिए योग


योग प्राचीन समय से मानसिक शान्ति के लिए अपनाया जाने वाला मन्त्र है. यह शरीर आत्मा और दिमाग तीनो के लिए सामूहिक र्रूप से काम करता है. योगाचार्य कहते है की योग करने से आत्मिक शान्ति की अनुभूति होती है. 

योग का परिणाम 
योग शरीर के लिए किसी रामबाण के समान है. यह बात विज्ञान भी मानता है. रेगुलर योग करने से ह्रदय स्वस्थ रहता है. और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है. इसके रोजाना अभ्यास से एनर्जी लेवल बढता है. और मानसिक शान्ति मिलती है. 

एक कारगार उपाय 
एकाग्रता बढाने के लिए प्राणायाम, आसन और ध्यान लाभदायक है. एक्सपर्ट कहते है की प्राणायाम पर अच्छी पकड़ होने से एकाग्रता बढती है. इसमें धीमी और गहरी गति से सांस लेने के विभिन्न तरीके सिखाएं जाते है. जो श्वास सम्बन्धी गड़बड़ियों को दूर करने के साथ साथ फेफड़ों की कार्यक्षमता बढाने में भी मददगार है. आसन में स्टैंडिंग , बैलेंसिंग , फारवर्ड और बैकवार्ड बेंड्स और ट्विस्ट शामिल है. यह शरीर को मजबूती देने के साथ साथ ही मांसपेशियों में लचीलापन लाने में भी मददगार है. इसके अलावा योग शरीर का रक्त संचार बढाने में भी सहायक है. वाही ध्यान से दिमाग शांत व् स्थिर रहता है. हालांकि इसका ठोस सबूत नहीं मिला है की योग मानसिक स्तर पर असर कैसे डालता है. हालांकि यह स्ट्रेस दूर करने में शत प्रतिशत कारगार है. 

ध्यान रखें 
योग करते समय सावधानी रखें ताकि साईड इफैक्ट न हो . योग क्लास शुरू करने से पूर्व योग गुरु को अपनी शारीरिक और मानसिक परेशानियां बताये. यदि आप हाई ब्लड प्रेशर , ग्लूकोमा और हार्निया के मरीज है, तो अपसाईड डाउन पाशचर से परहेज करे, गर्भवती महिलायें बिना सलाह के कोई आसन न करें .

गायब हो गया जहाज का स्टाफ


31 जनवरी 1921 की सुबह नॉर्थ कैरोलिना के केप हैटेरास पर एक जहाज देखा गया। आश्चर्य की बात ये थी कि जहाज पर मौजूद 11 लोगों के स्टाफ में से किसी का भी अता-पता नहीं था। समुद्री घटनाओं के इतिहास में ये सबसे बड़ा रहस्य है। ज्यादातर लोगों का दावा है कि ये लोग बरमूडा ट्राएंगल के शिकार हो गए थे। इसी तरह कुछ का मानना है कि समुद्री लुटेरों का ये काम है।
कैरोल ए डीरिंग नाम का ये जहाज 225 फीट लंबा और 45 फीट चौड़ा था। इसे खासतौर पर कागरे शिपिंग के लिए 1919 में तैयार किया गया था। इसके अलावा इसमें कई लक्झरी साधन तैयार किए गए थे।
19 अगस्त 1920 को ये जहाज नॉरफॉल्क से रियो डी जेनेरियो के लिए कोयला लेकर निकला था। जहाज के कैप्टन विलियम एच मेरिट थे। उनकी टीम में उनका बेटा सीवाल भी था। अगस्त के अंत तक विलियम की तबीयत खराब हो गई और वे अपने बेटे के साथ पोर्ट ऑफ लेविस में उतर गए।
इसके बाद 66 वर्षीय डब्ल्यूबी वॉर्मेल को नया कैप्टन बनाया गया। वॉर्मेल पहली यात्रा आराम से पूरी करके लौट आए थे। इसके बाद सितंबर 1920 में वे फिर से रियो डी जेनेरियो के लिए निकले थे। इस दौरान ये रहस्यमयी घटना घटी थी। अमेरिका की सरकारी एजेंसियों ने काफी जांच की लेकिन कुछ पता नहीं चल सका कि जहाज का स्टाफ कहां गया। ये आज तक राज़ है।

रहस्यमयी दिलचस्प सच


आस्ट्रेलिया के मशहूर पेंटर जोसेफ मैथ्यूज एग्नर ने सबसे पहले 18 साल की उम्र में फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी . ऐसे में अचानक लबादा पहने और टोपी लगाए एक रहस्यमयी संत ने उन्हें बचा लिया. 22 साल की उम्र में भी उन्हें ऐसा करने से उसी संत ने बचाया . इसके 8 साल बाद वह राजनितिक कारणों से जेल गए थे , यहाँ से भी उन्हें उसी संत ने बचाया था . 68  की उम्र में आखिरकार वह आत्महत्या करने में कामयाब हो गए थे . इत्तेफाक देखिये उनका अंतिम संस्कार भी उसी संत ने किया था जिनका नाम तक वे नहीं जानते थे. 

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

अतीत से सीखो और वर्तमान को जियो


एक शिष्य ने गुरु से पूछा कि आपका ज्ञान पाने से पहले और बाद में क्या अनुभव है ? गुरु ने जवाब दिया, ज्ञान पाने से पहले मई उठता था, नहाता था, लकड़ी काटता था और रात को सो जाता था। ज्ञान पाने के बाद भी मैं यही काम करता हूँ। मगर, अब एक फर्क आ गया है। पहले जब मैं यह करता था तो मेरा दिमाग अतीत और भविष्य में लगा रहता था। ज्ञान पाने के बाद अब जब भी मैं खाता हूँ, तो सिर्फ खाता हूँ। जब नहाता हूँ तो सिर्फ नहाता हूँ। इस तरह से वर्तमान में जीता हूँ।

समय को अतीत , वर्तमान और भविष्य में बांटकर देखने की जरुरत है। कुछ लोग अपने अतीत से संचालित होते है, क्योंकि वे इसी से लिपटे रहते है। कुछ लोग भविष्य से बंधे रहते है। क्योंकि वे इसी से संचालित होते है। बेहतर यही है कि हम अपने समय का संतुलन बनायं। जब जरुरत हो तो बीती बातों का सन्दर्भ लें और भविष्य के बारे में सोचें। यानी अतीत से सीखों , वर्तमान का आनंद लो और भविष्य की योजनायें बनाओं। ऐसा कहा जाता है की हिटलर की हार के कारणों में से एक कारण यह था कि उसने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। उसने रूस पर सर्दियों में हमला किया था . यदि उसने इतिहास से सीखा होता तो , उसे पता होता कि यही गलती नेपोलियन ने भी की थी। उसने भी रूस पर सर्दियों के दौरान हमला किया था। इस कारण नेपोलियन ने अपने बहुत सारे आदमियों की जान गवायीं थी।

अपनी प्राथमिकताओं को तय करो। समय को बर्बाद करने वाले कारणों को पहचानों। काम को बांटना सीखें और अपना काम खुश होकर करें. तभी आप पाएंगे कि आपके पास बहुत समय है। हम आमतौर पर विचारों से घिरे रहते है। जब मन में हलचल होती है तो हम बार-बार भार महसूस करते है। एक मन की आवाज होती है और एक आत्मा की . मौन आत्मा की आवाज होती है। हम मौन का अनुभव नहीं कर पाते है, क्योंकि हमारे मन में बहुत हलचल होती है। आत्मा की आवाज हमें विकास की और ले जाती है। वही, हलचल भरे मन की आवाज सोचने-समझने की शक्ति को कम कर देती है। आत्मा की आवाज को सुनने के लिए हमें अपने हलचल भरे मन की  आवाजों को बंद करने की कोशिश करनी चाहिए . इस शांति को पाने का एक तरीका है ध्यान करना। इसी से ही हम अपने मन और शरीर पर काबू पा सकते ही।

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

मधुबाला जन्मदिन पर विशेष Tribute To Madhubala

 
बिना अश्लील हुए सैक्सी थी मधुबाला 

मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ था। उनका वास्तविक नाम मुमताज जहाँ बेगम था। 1942 में 9 साल की उम्र में उन्होंने एक बल कलाकार के रूप में 'बसंत' से अपने अभिनय सफ़र की शुरुआत की थी। नायिका के तोर पर उनकी पहली फिल्म थी 'नीलकमल'। 

अपनी बेपनाह ख़ूबसूरती और अदायगी के बल पर मधुबाला वर्षों तक फिल्म जगत में छाई रही। उन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। 

उस दौर में जब फिल्म की नायिका ज्यादा खूबसूरत नहीं हुआ करती थी , मधुबाला पहली खूबसूरत अभिनेत्री थी। दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला सौन्दर्य मधुबाला के पास था . सिनेमा का पर्दा उन दिनों मदुबाला के सौन्दर्य से झिलमिला उठता था। चान्द-सा मुखड़ा और हिरनी जैसी बड़ी आँखों वाली मधुबाला को देखकर दर्शक ठगा-सा रह जाता था। 

उनकी सुन्दरता क्लासिक थी। जब मधुबाला पानी में भीगी हुयी होती थी तब ज्यादा खूबसूरत नजर आती थी। उनके मादक और आकर्षक रूप से प्रभावित होकर ही बाद में कई नायिकाओं को परदे पर भिगोकर पेश करने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। लेकिन 'बरसात की रात' और 'चलती का नाम गाडी' जैसी कुछ फिल्मो में भीगी हुयी गुलाबी रंगत वाली मधुबाला का  भी दूसरी अभिनेत्री मुकाबला नहीं कर सकी।

मधुबाला जैसी बात तो कभी बन ही नहीं सकी . मधुबाला बिना अश्लील हुए भी जबरदस्त सैक्सी थी। उनका खिल हुआ हँसता हुआ चेहरा उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। उनकी हंसी में सैकड़ों घुंघरुओं का सुरीलापन था। मोतियों जैसी चमकदार मुस्कान तो देखते ही बनती थी। उनके शरीर 
का हर अंग खिलखिलाता और मुस्कुराता हुआ नज़र आता था। जिस पर दर्श्क्बुरी तरह से फ़िदा थे। 

मधुबाला की इन्ही खूबियों की वजह से उन्हें सौन्दर्य की  देवी 'वीनस' का दर्जा मिला था। मधुबाला केवल सुन्दर ही नहीं, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री भी थी। किरदारों के मनोभाव को व्यक्त करने में उनकी बड़ी-बड़ी आँखें कमाल का काम करती थी। 

अम्धुबाला के उत्कृष्ट अभिनय और दिलकश सौन्दर्य के साथ फिल्म का पर्दा झिलमिला उठता था। वह ब्लैक एंड व्हाईट फिल्मों का दौर था। यदि मधुबाला आज कलर फिल्मों के दौर में होती तो अच्छों-अच्छों के होश उडा देती। जब ' मुगल-ए-आज़म' कलर प्रिंट में रीलिज़ हुयी थी तो नज़ारा देखने लायक था। 

मधुबाला का सहज स्वाभाविक अभिनय, दुःख-दर्द को चेहरे के उतार चड़ाव द्वारा निभाने की क्षमता , मोहक संवाद अदायगी और उनके अंग-प्रत्यंग द्वारा सौन्दर्य को परिभाषित करने की खासियत ऐसी थी की आज चार दशक बाद भी मधुबाला दर्शकों के जहन में रची बसी हुयी है। 13 फरवरी 1969 को 36 साल की मामूली उम्र में दिल की बिमारी ने उन्हें हमसे छीन लिया।  

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

सजावटी पौधे Decorative Plants For Good Interior


 प्लांट्स न केवल घर को फ्रेश लुक देकर ख़ूबसूरती बढ़ाते है। बल्कि घर में रहने वाले लोगों को अपनी हरयाली से शीतलता प्रदान करते है। प्लांट्स को उगाने और उनकी देखभाल में आपकी मेहनत  के साथ इको-फ्रेंडली होने का एहसास भी साथ में जुड़ जाता है। यदि आप अपने घर के बगीचे में या घर के किसी कोने में सजावटी पौधे लगाना चाहते है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है-

+ उपयुक्त स्थान का चुनाव
जहां भी सजावटी पौधें लगाने है ऐसी जगह चुने जहां सूरज की रौशनी आती हो। और ताज़ी हवा आती जाती हो। सीडियों पर या प्रवेश द्वार पर या लाबी में रखें पौधें बाहरी वातावरण के अधिक प्रभाव में रहते है। जो इनके विकास के लिए सहायक है। कमरे, बाथरूम और रसोईघर की खिड़की के पास भी पौधें रखें जा सकते है। यदि आपके घर में पौधें लगाने की सही जगह न हो लेकिन आप फिर भी पौधें रखने व् लगाने के इच्छुक है तो दीवारों पे या बरामदे में हैंगिंग  में भी लगा सकते है।

+ गमलों का चुनाव
जिस आकर का पौधा आप लगा रहे है , गमला भी उसी आकर का होना चहिये। बड़े पौधों के लिए बड़ा गमला और छोटों पौधों के लिए छोटा गमला। वैसे पौधा कोई भी हो गमला हमेशा मिटटी का होना चाहिए यदि आप चाहे तो इन मिटटी के गमलों को सजावटी धातु के गमलों में भी रख सकते है। गमलों की निचली सतह पर एक सुराख होता है जिसे फालतू पानी निकलने के लिए रखा जाता है। उसके निचे हमेशा प्लास्टिक की प्लेट रखें क्योंकि किसी एनी धातु की प्लेट रखने से फर्श पर पानी के दाग लग सकते है।

+ गमलों के लिए मिटटी तैयार करना
इसके लिए सबसे  तरीका है गाय के गोबर की खाद. सबसे पहले मिटटी को अच्छी तरह से छन लें इस मिटटी में गोबर की खाद मिलाये। ध्यान रहे की खाद में कोई गाँठ न हो। दोनों को अच्छी तरह मिलाकर गमलों में आधा-आधा भर लें . अब पौधा लगाने के बाद बाकी मिटटी डालकर गमला मिटटी से भर दें 

+ ध्यान देने योग्य बातें
* घर के अंदर रखें पौधों के पत्तों को स्प्रे से साफ़ करते रहें। पानी का स्प्रे उनमे नयी जिंदगी का संचार करती है।
* 10-15 दिनों में गमलों की गुडाई करते रहें। मतलब मिटटी की उपरी सतह को खुरचना है ताकि निचली मिटटी को जीवन मिल सके
* साल में दो बार  खाद अवश्य डाले।
* गर्मियों में दो बार व् सर्दियों में एक बार प्रतिदिन पानी डालें।

आजकल बाजार में मिटटी के कई सजावटी गमले उपलब्ध है। आप उन पर पेंट करके या अपनी कल्पनाशक्ति से कोई डिजाईन तैयार करके ओर अधिक आकर्षक लुक दे सकते है।

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

बचें विषाक्त भोजन से Food Poisoning


विषाक्त भोजन तथा भोजन विषाक्तता को फ़ूड पायजनिंग कहा जाता है। भोजन के पकाने में लापरवाही , इसके बासी या पुराना हो जाने अथवा असुरक्षित ढंग से इसे रखने एवं खाने पर व्यक्ति इस से पीड़ित होता है। लक्षण दीखते ही इसका उपचार जरुरी है। अन्यथा भोजन के विष का प्रभाव शरीर में बाद जाने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

लक्षण 
ऐसे भोजन के सेवन के कुछ देर बाद पेट फूलने जैसा लगता है। पेट में दर्द व् मरोड़ होता है। नाभि के आस-पास तेज दर्द होता है। सर चकराने लगता है,बेहोशी छा जाती है।  उल्टियां होने लगती है, दस्त भी होने लगते है। व्यक्ति में इनमे से एक या अधिक लक्षण भी एक साथ प्रकट हो सकते है।

कारण 
भोजन पकाने में लापरवाही या इसे सही ढंग से सुरक्षित नहीं रखने पर भोजन में तरह-तरह के घातक बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते है जो भोजन को विषाक्त बना देते है। यह सलाद, दही, खीर, खोया,मांस,ब्रैड अथवा दूध से बनी वस्तुओं के बासी होने पर घातक बैक्टीरिया के उत्पन्न होने के कारण होता है।

क्या करें 
विषाक्त भोजन का प्रभाव एक से 6 घंटे के भीतर दिखने लगता है। लक्षण दिखने पर   जीवन रक्षक घो;, फलों का रस, सूप कम मात्रा में धीरे-धीरे पियें बिना बुलबुले वाला सोडा भी पी सकते है। यदि सीने में जलन रोकने वाली गोली या एसिडिटी दूर करने वाली गोली फ़ूड पायजनिंग या डायरिया की स्थिति में लेते है तो मामला और बिगड़ सकता है। 
शरीर में घातक बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता होती है जो उक्त गोलियों के लेने से पीड़ित की ताकत क्षीण कर देते है। वैसे स्वयं उपचार या राहत पाने की उपाय करने की बजाये योग्य चिकित्सक से तत्काल जांच और उपचार करवाएं अन्यथा ये महामारी भी बन सकती है। 

सावधानियां 
+ सलाद व् अंकुरित चीजें साफ़ सुथरी रखें 
+ भोजन से पूर्व हाथों को भली भाँती साफ़ करें।
+ ज्यादा पुराना खट्टा दही न खाएं .
+ बासी भोजन करने से बचे।
+ गन्दी जगहों की बाजारी वस्तुओं का सेवन न करें।
+ सदी-गली, फल-सब्जी का किसी भी रूप में सेवन न करें।
+ अप्रचलित फल-सब्जी व् मशरूम को भली प्रकार  कर लें।
+ डिब्बाबंद, बोतलबंद चीजों की निर्माण व् कालातीत होने की तारिख देख कर ही प्रयोग करें।
+ किसी भी खाद्द वस्तु में अपरिचित गंध या दुर्गन्ध होने पर उसका सेवन न करें।



सुविचार-

प्रार्थना ऐसे करनी चाहिए जैसे कि सब कुछ ईश्वर पर निर्भर करता है

और काम ऐसे करना चाहिए कि सब कुछ हम पर निर्भर करता है ।

स्वस्थ रहने के लिए पैदल चले Walking For Good Health


पैदल चलने वाले अब कम रह गए है जबकि पैदल चलने को कसरत का राजा कहा जाता है। पैदल चलने से सभी तरह का लाभ मिलता है। यह बिना खर्च , अल्प श्रम एवं कुछ समय के भीतर पैदल चलने वालो को स्वास्थ्य लाभ दिलाता है।

आधुनिक विज्ञान भी पैदल चलने को एरोबिक्स कसरतों से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ के समतुल्य बताता है।  साधन सुविधाभोगी एवं नाना प्रकार की बीमारियों से त्रस्त व्यक्ति यदि पैदल चलने के महत्व को स्वीकार कर ले तो वे आगे सेहतमंद रह सकते है। शुगर, बी.पि., कोलेस्ट्रोल, मोटापा आदि अनेक रोगों में पैदल चलना परम्हित्कारी है।

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

जब आये बुखार .... When Fever Knocks....


मौसम कैसा भी क्यों न हो, कोई न कोई व्यक्ति बुखार से पीड़ित मिल ही जाएगा। शायद यही कारण है की हम बुखार को गंभीरता से नहीं लेते। जो कभी जानलेवा भी बन सकता .
बुखार आने पर मरीज को आरामदायक बिस्तर पर लेटाना चाहिए। तापमान लेने के बाद मरीज को ज्यादा गर्म वस्त्रों से न ढकें। डाक्टर से मरीज की पूरी पूछताछ करें। सामान्यता बुखार में दी जाने वाली दवाओं से मरीज का गला सूखने लगता है। ऐसी स्तिथि में मरीज को पानी देने से आना कानी न करें। निम्बू-पानी, सूप व् फ्रूट जूस, मरीज के लिए अधिक लाभप्रद होता है।
मरीज को यथासंभव हवादार या जालीदार कमरें में सुलाएं। और उसके कपडे डेटोल से साफ़ करके पहनाएं। बुखार के प्रारम्भिक 24-48 घंटों में मरीज को पूर्ण आराम देना चाहिए क्योंकि उस वक्त वह अति कमजोर होता है। बुखार के वक्त मरीज के मुंह का स्वाद बदल जाता है। तथा खाने के प्रति उसकी रुचि ख़त्म हो जाती है। ऐसे में उसे खाने के लिए जबरदस्ती न करें। ऐसे समय में मरीज का कसरत करना वर्जित है। 

सावधानियां-

+ बुखार होने पर मरीज को पैरासिटामोल के अतिरिक्त अन्य कोई दवा न दे। एक-दो दिन में बुखार ठीक न होने पर चिकित्सक को दिखाएँ। एंटीबायटक दवाएं कभी भी डाक्टरी सलाह के बिना न ले।

+ थर्मामीटर को धोकर, वैसलीन या क्रीम लगाकर एंटीसैप्टिक घोल में रखें।

+ मरीक के कपडे डेटोल से धोये। चिकित्सक द्वारा दी गयी हिदायतों के  ही अनुसार ही मरीज को दवा दे।



सुविचार-

उत्साह ही बलवान होता है, उत्साह से बढ़कर दूसरा कोई बल नहीं है । उत्साही पुरुष के लिए इस संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है ।

बाल रंगने है तो . . . Hair Coloring Tips






कहते है की समय के साथ चलना है तो चुस्तदुरुस्त और आकर्षक दिखना भी आवश्यक है। वैसे इस आधुनिक युग में हर किसी की तमन्ना बन गयी है आकर्षक और जवां दिखने की . अगर ऐसा है तो देर किस बात की , तैयार हो जाइये अपने सुन्दर सवस्थ बालों को और सुंदर तथा आकर्षक बनाने के लिए।



बाल रंगने की उपयोगिता

+ हेयर कलर व्यक्तित्व को आधुनिक स्वरूप प्रदान करता है।



+ हेयर कलर का प्रयोग बालों में चमक उत्पन्न कर बालों को नरम और मुलायम बनाता है।



+ हेयर कलर बालों को प्राक्रतिक रूप में परिवर्तित करता है।



+ सफ़ेद बालों की समस्या से परेशान महिलायें/पुरुष हेयर कलर का प्रयोग कर न सिर्फ अपने सफ़ेद बालों की समाया का स्थायी समाधान कर सकती है वही अपना खोया हुआ आत्मविश्वास भी पा सकते है।



बाल रंगते समय सावधानियां

+ हेयर कलर सदैव स्वस्थ बालों में करें, बेजान बालों में कलर करना बालों सम्बन्धी अनेक समस्याएं पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।



+ हेयर कलर का प्रयोग करने से पूर्व त्वचा संवेदनशीलता का टेस्ट अवश्य करें।



+ हेयर कलर लगाने से 24 घंटे पूर्व बालों में शैम्पू का प्रयोग करें।



+ हेयर कलर सदैव सूखे बालों पर लगाएं।



+ हेयर कलर सदैव अच्छी क्वालिटी और अच्छी गुणवत्ता वाला ही प्रयोग करना चाहिए।



+ हेयर कलर का प्रयोग करने और अपने बालों को नया लुक देने से पूर्व अनुभवी हेयर एक्सपर्ट से परामर्श अवश्य ले।



+ अपने हेयर कलर का चुनाव करते समय अपने काम्प्लेक्शन का भी ध्यान रखें।



+ हेयर कलर का प्रयोग करते समय आँखों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें।



+ बाल धोने के लिए माइल्ड शैम्पू का प्रयोग करे।



+ बालों को प्रत्यक्ष धुप और धुल मिटटी से भी बचा कर रखें।











सुविचार-

अगर आपकी इच्छाएं मजबूत होंगी तो आपको महसूस होगा कि उनका पूरा करने की अलौकिक शक्ति आ गई है ।



शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

ओषधि सरसों का तेल Mustard Oil

आमतोर पर सरसों का तेल का इस्तेमाल रसोई घर में सब्जियों में अथवा अचार बनाने में किया जाता है। लेकिन इसकी महत्ता यही तक ही सिमित नहीं है।  इसमें छिपे है स्वास्थ्य और सोन्दर्य के राज़-

+ पैरों के तलवों में सरसों के तेल की मालिश करने से थकावट दूर होती है। 

+ कान दर्द सताए तो दो बूँद सरसों के तेल की डाल दे।

+ यदि कान में मैल जमा हो गया है तो दो बूँद सरसों के तेल की डाल दे, मैल फूल कर बाहर आ जाएगा।

+ कान में कीड़ा चला जाये तो सरसों के तेल में लहसुन की कलि मिला कर गर्म कर तथा गुनगुना रहने पर कान में एक-दो बूँद डाल दे। कीड़ा मर कर बाहर निकल आएगा।

+ सर्दीजुकाम से पीड़ित हो तो छाती तथा पीठ पर सरसों का तेल लगायें।

+ गठिया की शिकायत में सरसों के तेल में कपूर मिलकर प्रभावित अंग पर लगायें। 

+ दाद-खाज , खुजली आदि चर्मरोग से निजात पाने के लिए सरसों के तेल में आक के पत्तों का रस तथा हल्दी मिलकर गर्म करके छान कर शीशी में भर ले तथा प्रभावित भाग पर लगायें।

+ सरसों के तेल की मालिश करने से रक्त संचार बढता है तथा सफुर्ती आती है।

+ सरसों के तेल की मालिश नवजात शिशु और प्रसूता दोनों के लिए ही लाभदायक है।

+ सरसों का तेल में नियमित रूप से बालों पर लगाने से वह असमय सफ़ेद नहीं होते।

+ सर्दियों में सरसों के तेल की मालिश करने से सर्दी का असर कम होता है।

+ सरसों के तेल को गुनगुना करके पिंडलियों पर मालिश करने से पिंडलियों का दर्द समाप्त हो जाता है।



सुविचार-
सफलता खुशी की चाबी नहीं है । 
अपितु खुशी सफलता की चाबी है । 
आप जो कर रहे है अगर आप उससे प्यार करते है तो आप जरुर सफल होंगे ।

मुंह में टूथब्रश रखना खतरनाक Misuse Of ToothBrush


सुबह उठते ही मुंह को साफ़ करना हमारा पहला काम होता है। मुंह साफ़ करते समय कई लोग टूथब्रश को अपने मुंह में दबाकर इधर उधर घूमते है। या फिर कोई अन्य काम निपटाने की कोशिश करते है लेकिन शायद लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं होता की यह कितना खतरनाक हो सकता है। 
न्यूज़ीलैंड की एक 15 वर्षीय किशोरी अपने मुंह में लगभग 15 सेंटीमीटर लम्बे टूथब्रश को लेकर इधर उधर घूम रही थी। अचानक ठोकर लगने से वो गिर पड़ी और ब्रश का आधे से अधिक हिस्सा उसकी आहार नाली में चला गया। इसके बाद उसका दम घुटने लगा। हालांकि ब्रश का कुछ हिस्सा उसके मुंह से बाहर था लेकिन दम घुटने का ज्यादा प्रभाव होने के कारन वह पूरा ब्रश निगल गयी। बाद में कैमरे से ब्रश की सही स्थिति का पता लगा कर उसे निकाला गया था।
सुबह फुर्सत से समय निकाले और समय देकर दांत साफ़ करें , नहीं तो , लापरवाही से दांत साफ़ करना आपके जीवन के लिए घातक हो सकता है।



सुविचार-
जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी है
बचपन में मां का,
जवानी मे महात्मा का
और बुढ़ापे में परमात्मा का ।

शनिवार, 26 जनवरी 2013

सनी लियोन हुई धार्मिक Sunny Leone

भारतीय मूल की कनाडियन पोर्न स्टार सनी लियोन अपनी पुरानी पहचान मिटाकर हिन्दुस्तानी लड़की और बॉलीवुड हिरोईन की छवि बनाने में जुटी है । किसी हद तक वे अपने मकसद में कामयाब भी हुई है । उनकी पुरानी इमेज के चलते उन्हें मुम्बई में किराऐ पर घर नहीं मिल रहा था, जो कि मिल चुका है । उन्हें पिछले साल एक नवरात्रि उत्सव से भी बैरंग लौटा दिया गया था । क्योंकि जनता उनके विरोध में आक्रामक हो गई थी । लेकिन हाल ही में उन्हें मुम्बई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में एकता कपूर के साथ गणेश जी के दर्शन और पूजा पाठ का निर्विरोध अवसर मिला । मंदिर में सनी के चेहरे पर सच्ची भक्ति भावना और मंदिर के बाहर उमड़ी भीड़ के चेहरे पर सनी के लिए स्वीकारोक्ति साफ देखी जा सकती थी । खबरों की माने तो , पिछले साल भर में सनी का जैसे दूसरा जन्म हुआ है । वो हिनदू देवी देवताओ में अपार श्रद्धा रख़ने लगी है । और पोर्नोग्राफी के पुराने पेशे को हमेशा के लिए त्याग चुकी है । एकता कपूर की आगामी फिल्म 'रागनी एमएमएस -२ ' के बाद वे ऐसी पारिवारिक सामाजिक फिल्में करने की इच्छुक है, जो उनकी इंडियन गर्ल की इमेज बना सके ।

डियर सनी, इस इंडस्ट्री ने बहुतों के बहुत बड़े बड़े कारनामे भुला दिए, आपकी भी पुरानी इमज भुला दी जाएगी, फिक्र मत किजिए !


सुविचार-
कम समय में दिल में उतरने वाले लोग, कम समय में ही दिल से भी उतर जाते  .

5 माह की बेटी के होंठ नाक खा गया पिता


26 जनवरी, 2013
एक पिता अपनी पांच माह की बेटी के होंठ और नाक काटकर खा गया । तीन साल की दूसरी बेटी को भी जगह जगह काटा । इससे पहले पत्नी की जमकर पिटाई की । यह घटना 24 जनवरी रात की बीकानेर जिले सियाणा गांव की है । पुलिस ने आरोपी भादर सिंह को गिरफ्तार कर लिया है । घायल बच्चियों को अस्पताल में भर्ती करवाया है।
बच्चियों की मां संतोष ने पुलिस को बताया कि उसका पति भादर सिंह नशे में आया था । आते ही उसने मारपीट शुरु कर दी । इसके बाद तीन साल की बेटी भंवरी को जगह जगह से काट लिया । फिर पाँच माह की बेटी राधा को उठाया और उसके होंठ और नाक खा गया । संतोष और उसकी बहन ने पड़ोसियों को बुलाकर उसे काबू किया । 25 जनवरी को पुलिस बुलाकर मामले की सुचना दी गई ।



सुविचार-
खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते,
अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत नहीं होते।