बुधवार, 26 दिसंबर 2012

भगवान से कैसे बात करें हम . . . . How To Speak With GOD. . . .


दादा जी बैठे बैठे अखबार पढ़ रहे थे । कमरे में उनकी 5 वर्षीय पोती भगवान के सामने हाथ जोड़े बैठी कुछ बुदबुदा रही थी । नन्ही पोती को इस तरह प्रार्थना करते देख दादाजी को सुखद आश्चर्य हुआ । सो, वह ध्यान से सुनने लगे कि पोती आख़िर भगवान से क्या कह रही है । लेकिन काफी ध्यान लगाने पर भी उन्हें कुछ समझ में न आया । उनकी पोती शब्द या वाक्य बोलने की बजाए क, ख, ग, घ, अ, आ, उ, इ जैसे अक्षर दोहरा रही है । उन्होंने पूछा , ' बिटिया तुम क्या कर रही हो ?' पोती बोली, ' मैं प्रार्थना कर रही हूँ दादाजी। मुझे सटीक शब्द नहीं सूझ रहे हैं, इसलिए मैं अक्षर बोल रही हूँ। भगवन उन शब्दों को चुनकर सटीक शब्द बना लेगा, क्योकि भगवन जानता है की मैं क्या चाहती हूँ। '
कहीं, किसी और जगह , एक और दादाजी अपने पोते की प्रार्थना सुन रहे थे। यह पोता  भी बहुत छोटा था। इतना छोटा कि उसके पास बुद्धि तो थी पर स्वार्थ नहीं था। वह भगवन की शक्ति के बारे में जानता तो था, पर वेह यह नहीं जानता था की भगवन से डरना चाहिए या नहीं।
दादा ने सुना म पोत कह रहा था, ' हे भगवन, मेरे पापा की रक्षा करना और मेरी मम्मी की भी और मेरी बहन की और मेरे भाई की और मेरे दादा-दादी की भी रक्षा करना। तू मेरे सभी दोस्तों को अच्छे से रखना और पड़ोस वाले अंकल आंटी को भी। आया और उसके छोटू की देखभाल की जिम्मेवारी भी तेरी है।
और हाँ, तुझे मेरे कुत्ते की भी अछि तरह से देखभाल करनी है। और हाँ भगवन, ध्यान से अपनी भी देखभाल करते रहना। अगर तुझे कुछ हो गया , तो हम सब बहुत मुसीबत में फंस जाएंगे।'
भगवन भोग नहीं भाव के भूखे है। वह शब्द नहीं भावना पर ध्यान देते है। भगवन की कृपा चाहिए तो आडम्बर छोड़कर निश्छल होना पड़ेगा। भगवन को पाने के लिए भोलापन चाहिए।

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