
कहीं, किसी और जगह , एक और दादाजी अपने पोते की प्रार्थना सुन रहे थे। यह पोता भी बहुत छोटा था। इतना छोटा कि उसके पास बुद्धि तो थी पर स्वार्थ नहीं था। वह भगवन की शक्ति के बारे में जानता तो था, पर वेह यह नहीं जानता था की भगवन से डरना चाहिए या नहीं।
दादा ने सुना म पोत कह रहा था, ' हे भगवन, मेरे पापा की रक्षा करना और मेरी मम्मी की भी और मेरी बहन की और मेरे भाई की और मेरे दादा-दादी की भी रक्षा करना। तू मेरे सभी दोस्तों को अच्छे से रखना और पड़ोस वाले अंकल आंटी को भी। आया और उसके छोटू की देखभाल की जिम्मेवारी भी तेरी है।
और हाँ, तुझे मेरे कुत्ते की भी अछि तरह से देखभाल करनी है। और हाँ भगवन, ध्यान से अपनी भी देखभाल करते रहना। अगर तुझे कुछ हो गया , तो हम सब बहुत मुसीबत में फंस जाएंगे।'
भगवन भोग नहीं भाव के भूखे है। वह शब्द नहीं भावना पर ध्यान देते है। भगवन की कृपा चाहिए तो आडम्बर छोड़कर निश्छल होना पड़ेगा। भगवन को पाने के लिए भोलापन चाहिए।
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