सोमवार, 5 अगस्त 2013

खाकी वाले का डर - लघुकथा


लुटेरों को लुटा हुआ माल  वापस  करता देख कर सभी यात्री हैरान रह गए।  एक यात्री ने डरते हुए  - डाकूजी आपने बस को अगवा करके हम सभी यात्रियों से रूपए पैसे जेवरात सब छीन लिए।  फिर सबका माल वापस दे रहे हो , ऐसी दया किसलिए ?
डाकू ने गरजते हुए कहा - ये कोई दया नहीं है।  उस खाकी वाले का डर है जिसे हर लूट के पीछे पचास हजार  रूपए देने पड़ते है।  तुम सबके पास तो चालीस हजार भी नहीं निकले।  जब बस लुटने की खबर कल अखबार में छपेगी तो बाकी रूपए हम कहा से देंगे ?


सुविचार-
खूबसूरत लोग अच्छे नहीं होते,
अच्छे लोग खूबसूरत होते है।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें