शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

मानसिक शान्ति के लिए योग


योग प्राचीन समय से मानसिक शान्ति के लिए अपनाया जाने वाला मन्त्र है. यह शरीर आत्मा और दिमाग तीनो के लिए सामूहिक र्रूप से काम करता है. योगाचार्य कहते है की योग करने से आत्मिक शान्ति की अनुभूति होती है. 

योग का परिणाम 
योग शरीर के लिए किसी रामबाण के समान है. यह बात विज्ञान भी मानता है. रेगुलर योग करने से ह्रदय स्वस्थ रहता है. और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है. इसके रोजाना अभ्यास से एनर्जी लेवल बढता है. और मानसिक शान्ति मिलती है. 

एक कारगार उपाय 
एकाग्रता बढाने के लिए प्राणायाम, आसन और ध्यान लाभदायक है. एक्सपर्ट कहते है की प्राणायाम पर अच्छी पकड़ होने से एकाग्रता बढती है. इसमें धीमी और गहरी गति से सांस लेने के विभिन्न तरीके सिखाएं जाते है. जो श्वास सम्बन्धी गड़बड़ियों को दूर करने के साथ साथ फेफड़ों की कार्यक्षमता बढाने में भी मददगार है. आसन में स्टैंडिंग , बैलेंसिंग , फारवर्ड और बैकवार्ड बेंड्स और ट्विस्ट शामिल है. यह शरीर को मजबूती देने के साथ साथ ही मांसपेशियों में लचीलापन लाने में भी मददगार है. इसके अलावा योग शरीर का रक्त संचार बढाने में भी सहायक है. वाही ध्यान से दिमाग शांत व् स्थिर रहता है. हालांकि इसका ठोस सबूत नहीं मिला है की योग मानसिक स्तर पर असर कैसे डालता है. हालांकि यह स्ट्रेस दूर करने में शत प्रतिशत कारगार है. 

ध्यान रखें 
योग करते समय सावधानी रखें ताकि साईड इफैक्ट न हो . योग क्लास शुरू करने से पूर्व योग गुरु को अपनी शारीरिक और मानसिक परेशानियां बताये. यदि आप हाई ब्लड प्रेशर , ग्लूकोमा और हार्निया के मरीज है, तो अपसाईड डाउन पाशचर से परहेज करे, गर्भवती महिलायें बिना सलाह के कोई आसन न करें .

गायब हो गया जहाज का स्टाफ


31 जनवरी 1921 की सुबह नॉर्थ कैरोलिना के केप हैटेरास पर एक जहाज देखा गया। आश्चर्य की बात ये थी कि जहाज पर मौजूद 11 लोगों के स्टाफ में से किसी का भी अता-पता नहीं था। समुद्री घटनाओं के इतिहास में ये सबसे बड़ा रहस्य है। ज्यादातर लोगों का दावा है कि ये लोग बरमूडा ट्राएंगल के शिकार हो गए थे। इसी तरह कुछ का मानना है कि समुद्री लुटेरों का ये काम है।
कैरोल ए डीरिंग नाम का ये जहाज 225 फीट लंबा और 45 फीट चौड़ा था। इसे खासतौर पर कागरे शिपिंग के लिए 1919 में तैयार किया गया था। इसके अलावा इसमें कई लक्झरी साधन तैयार किए गए थे।
19 अगस्त 1920 को ये जहाज नॉरफॉल्क से रियो डी जेनेरियो के लिए कोयला लेकर निकला था। जहाज के कैप्टन विलियम एच मेरिट थे। उनकी टीम में उनका बेटा सीवाल भी था। अगस्त के अंत तक विलियम की तबीयत खराब हो गई और वे अपने बेटे के साथ पोर्ट ऑफ लेविस में उतर गए।
इसके बाद 66 वर्षीय डब्ल्यूबी वॉर्मेल को नया कैप्टन बनाया गया। वॉर्मेल पहली यात्रा आराम से पूरी करके लौट आए थे। इसके बाद सितंबर 1920 में वे फिर से रियो डी जेनेरियो के लिए निकले थे। इस दौरान ये रहस्यमयी घटना घटी थी। अमेरिका की सरकारी एजेंसियों ने काफी जांच की लेकिन कुछ पता नहीं चल सका कि जहाज का स्टाफ कहां गया। ये आज तक राज़ है।

रहस्यमयी दिलचस्प सच


आस्ट्रेलिया के मशहूर पेंटर जोसेफ मैथ्यूज एग्नर ने सबसे पहले 18 साल की उम्र में फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी . ऐसे में अचानक लबादा पहने और टोपी लगाए एक रहस्यमयी संत ने उन्हें बचा लिया. 22 साल की उम्र में भी उन्हें ऐसा करने से उसी संत ने बचाया . इसके 8 साल बाद वह राजनितिक कारणों से जेल गए थे , यहाँ से भी उन्हें उसी संत ने बचाया था . 68  की उम्र में आखिरकार वह आत्महत्या करने में कामयाब हो गए थे . इत्तेफाक देखिये उनका अंतिम संस्कार भी उसी संत ने किया था जिनका नाम तक वे नहीं जानते थे. 

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

अतीत से सीखो और वर्तमान को जियो


एक शिष्य ने गुरु से पूछा कि आपका ज्ञान पाने से पहले और बाद में क्या अनुभव है ? गुरु ने जवाब दिया, ज्ञान पाने से पहले मई उठता था, नहाता था, लकड़ी काटता था और रात को सो जाता था। ज्ञान पाने के बाद भी मैं यही काम करता हूँ। मगर, अब एक फर्क आ गया है। पहले जब मैं यह करता था तो मेरा दिमाग अतीत और भविष्य में लगा रहता था। ज्ञान पाने के बाद अब जब भी मैं खाता हूँ, तो सिर्फ खाता हूँ। जब नहाता हूँ तो सिर्फ नहाता हूँ। इस तरह से वर्तमान में जीता हूँ।

समय को अतीत , वर्तमान और भविष्य में बांटकर देखने की जरुरत है। कुछ लोग अपने अतीत से संचालित होते है, क्योंकि वे इसी से लिपटे रहते है। कुछ लोग भविष्य से बंधे रहते है। क्योंकि वे इसी से संचालित होते है। बेहतर यही है कि हम अपने समय का संतुलन बनायं। जब जरुरत हो तो बीती बातों का सन्दर्भ लें और भविष्य के बारे में सोचें। यानी अतीत से सीखों , वर्तमान का आनंद लो और भविष्य की योजनायें बनाओं। ऐसा कहा जाता है की हिटलर की हार के कारणों में से एक कारण यह था कि उसने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। उसने रूस पर सर्दियों में हमला किया था . यदि उसने इतिहास से सीखा होता तो , उसे पता होता कि यही गलती नेपोलियन ने भी की थी। उसने भी रूस पर सर्दियों के दौरान हमला किया था। इस कारण नेपोलियन ने अपने बहुत सारे आदमियों की जान गवायीं थी।

अपनी प्राथमिकताओं को तय करो। समय को बर्बाद करने वाले कारणों को पहचानों। काम को बांटना सीखें और अपना काम खुश होकर करें. तभी आप पाएंगे कि आपके पास बहुत समय है। हम आमतौर पर विचारों से घिरे रहते है। जब मन में हलचल होती है तो हम बार-बार भार महसूस करते है। एक मन की आवाज होती है और एक आत्मा की . मौन आत्मा की आवाज होती है। हम मौन का अनुभव नहीं कर पाते है, क्योंकि हमारे मन में बहुत हलचल होती है। आत्मा की आवाज हमें विकास की और ले जाती है। वही, हलचल भरे मन की आवाज सोचने-समझने की शक्ति को कम कर देती है। आत्मा की आवाज को सुनने के लिए हमें अपने हलचल भरे मन की  आवाजों को बंद करने की कोशिश करनी चाहिए . इस शांति को पाने का एक तरीका है ध्यान करना। इसी से ही हम अपने मन और शरीर पर काबू पा सकते ही।

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

मधुबाला जन्मदिन पर विशेष Tribute To Madhubala

 
बिना अश्लील हुए सैक्सी थी मधुबाला 

मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ था। उनका वास्तविक नाम मुमताज जहाँ बेगम था। 1942 में 9 साल की उम्र में उन्होंने एक बल कलाकार के रूप में 'बसंत' से अपने अभिनय सफ़र की शुरुआत की थी। नायिका के तोर पर उनकी पहली फिल्म थी 'नीलकमल'। 

अपनी बेपनाह ख़ूबसूरती और अदायगी के बल पर मधुबाला वर्षों तक फिल्म जगत में छाई रही। उन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। 

उस दौर में जब फिल्म की नायिका ज्यादा खूबसूरत नहीं हुआ करती थी , मधुबाला पहली खूबसूरत अभिनेत्री थी। दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला सौन्दर्य मधुबाला के पास था . सिनेमा का पर्दा उन दिनों मदुबाला के सौन्दर्य से झिलमिला उठता था। चान्द-सा मुखड़ा और हिरनी जैसी बड़ी आँखों वाली मधुबाला को देखकर दर्शक ठगा-सा रह जाता था। 

उनकी सुन्दरता क्लासिक थी। जब मधुबाला पानी में भीगी हुयी होती थी तब ज्यादा खूबसूरत नजर आती थी। उनके मादक और आकर्षक रूप से प्रभावित होकर ही बाद में कई नायिकाओं को परदे पर भिगोकर पेश करने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। लेकिन 'बरसात की रात' और 'चलती का नाम गाडी' जैसी कुछ फिल्मो में भीगी हुयी गुलाबी रंगत वाली मधुबाला का  भी दूसरी अभिनेत्री मुकाबला नहीं कर सकी।

मधुबाला जैसी बात तो कभी बन ही नहीं सकी . मधुबाला बिना अश्लील हुए भी जबरदस्त सैक्सी थी। उनका खिल हुआ हँसता हुआ चेहरा उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। उनकी हंसी में सैकड़ों घुंघरुओं का सुरीलापन था। मोतियों जैसी चमकदार मुस्कान तो देखते ही बनती थी। उनके शरीर 
का हर अंग खिलखिलाता और मुस्कुराता हुआ नज़र आता था। जिस पर दर्श्क्बुरी तरह से फ़िदा थे। 

मधुबाला की इन्ही खूबियों की वजह से उन्हें सौन्दर्य की  देवी 'वीनस' का दर्जा मिला था। मधुबाला केवल सुन्दर ही नहीं, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री भी थी। किरदारों के मनोभाव को व्यक्त करने में उनकी बड़ी-बड़ी आँखें कमाल का काम करती थी। 

अम्धुबाला के उत्कृष्ट अभिनय और दिलकश सौन्दर्य के साथ फिल्म का पर्दा झिलमिला उठता था। वह ब्लैक एंड व्हाईट फिल्मों का दौर था। यदि मधुबाला आज कलर फिल्मों के दौर में होती तो अच्छों-अच्छों के होश उडा देती। जब ' मुगल-ए-आज़म' कलर प्रिंट में रीलिज़ हुयी थी तो नज़ारा देखने लायक था। 

मधुबाला का सहज स्वाभाविक अभिनय, दुःख-दर्द को चेहरे के उतार चड़ाव द्वारा निभाने की क्षमता , मोहक संवाद अदायगी और उनके अंग-प्रत्यंग द्वारा सौन्दर्य को परिभाषित करने की खासियत ऐसी थी की आज चार दशक बाद भी मधुबाला दर्शकों के जहन में रची बसी हुयी है। 13 फरवरी 1969 को 36 साल की मामूली उम्र में दिल की बिमारी ने उन्हें हमसे छीन लिया।  

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

सजावटी पौधे Decorative Plants For Good Interior


 प्लांट्स न केवल घर को फ्रेश लुक देकर ख़ूबसूरती बढ़ाते है। बल्कि घर में रहने वाले लोगों को अपनी हरयाली से शीतलता प्रदान करते है। प्लांट्स को उगाने और उनकी देखभाल में आपकी मेहनत  के साथ इको-फ्रेंडली होने का एहसास भी साथ में जुड़ जाता है। यदि आप अपने घर के बगीचे में या घर के किसी कोने में सजावटी पौधे लगाना चाहते है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है-

+ उपयुक्त स्थान का चुनाव
जहां भी सजावटी पौधें लगाने है ऐसी जगह चुने जहां सूरज की रौशनी आती हो। और ताज़ी हवा आती जाती हो। सीडियों पर या प्रवेश द्वार पर या लाबी में रखें पौधें बाहरी वातावरण के अधिक प्रभाव में रहते है। जो इनके विकास के लिए सहायक है। कमरे, बाथरूम और रसोईघर की खिड़की के पास भी पौधें रखें जा सकते है। यदि आपके घर में पौधें लगाने की सही जगह न हो लेकिन आप फिर भी पौधें रखने व् लगाने के इच्छुक है तो दीवारों पे या बरामदे में हैंगिंग  में भी लगा सकते है।

+ गमलों का चुनाव
जिस आकर का पौधा आप लगा रहे है , गमला भी उसी आकर का होना चहिये। बड़े पौधों के लिए बड़ा गमला और छोटों पौधों के लिए छोटा गमला। वैसे पौधा कोई भी हो गमला हमेशा मिटटी का होना चाहिए यदि आप चाहे तो इन मिटटी के गमलों को सजावटी धातु के गमलों में भी रख सकते है। गमलों की निचली सतह पर एक सुराख होता है जिसे फालतू पानी निकलने के लिए रखा जाता है। उसके निचे हमेशा प्लास्टिक की प्लेट रखें क्योंकि किसी एनी धातु की प्लेट रखने से फर्श पर पानी के दाग लग सकते है।

+ गमलों के लिए मिटटी तैयार करना
इसके लिए सबसे  तरीका है गाय के गोबर की खाद. सबसे पहले मिटटी को अच्छी तरह से छन लें इस मिटटी में गोबर की खाद मिलाये। ध्यान रहे की खाद में कोई गाँठ न हो। दोनों को अच्छी तरह मिलाकर गमलों में आधा-आधा भर लें . अब पौधा लगाने के बाद बाकी मिटटी डालकर गमला मिटटी से भर दें 

+ ध्यान देने योग्य बातें
* घर के अंदर रखें पौधों के पत्तों को स्प्रे से साफ़ करते रहें। पानी का स्प्रे उनमे नयी जिंदगी का संचार करती है।
* 10-15 दिनों में गमलों की गुडाई करते रहें। मतलब मिटटी की उपरी सतह को खुरचना है ताकि निचली मिटटी को जीवन मिल सके
* साल में दो बार  खाद अवश्य डाले।
* गर्मियों में दो बार व् सर्दियों में एक बार प्रतिदिन पानी डालें।

आजकल बाजार में मिटटी के कई सजावटी गमले उपलब्ध है। आप उन पर पेंट करके या अपनी कल्पनाशक्ति से कोई डिजाईन तैयार करके ओर अधिक आकर्षक लुक दे सकते है।

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

बचें विषाक्त भोजन से Food Poisoning


विषाक्त भोजन तथा भोजन विषाक्तता को फ़ूड पायजनिंग कहा जाता है। भोजन के पकाने में लापरवाही , इसके बासी या पुराना हो जाने अथवा असुरक्षित ढंग से इसे रखने एवं खाने पर व्यक्ति इस से पीड़ित होता है। लक्षण दीखते ही इसका उपचार जरुरी है। अन्यथा भोजन के विष का प्रभाव शरीर में बाद जाने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

लक्षण 
ऐसे भोजन के सेवन के कुछ देर बाद पेट फूलने जैसा लगता है। पेट में दर्द व् मरोड़ होता है। नाभि के आस-पास तेज दर्द होता है। सर चकराने लगता है,बेहोशी छा जाती है।  उल्टियां होने लगती है, दस्त भी होने लगते है। व्यक्ति में इनमे से एक या अधिक लक्षण भी एक साथ प्रकट हो सकते है।

कारण 
भोजन पकाने में लापरवाही या इसे सही ढंग से सुरक्षित नहीं रखने पर भोजन में तरह-तरह के घातक बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते है जो भोजन को विषाक्त बना देते है। यह सलाद, दही, खीर, खोया,मांस,ब्रैड अथवा दूध से बनी वस्तुओं के बासी होने पर घातक बैक्टीरिया के उत्पन्न होने के कारण होता है।

क्या करें 
विषाक्त भोजन का प्रभाव एक से 6 घंटे के भीतर दिखने लगता है। लक्षण दिखने पर   जीवन रक्षक घो;, फलों का रस, सूप कम मात्रा में धीरे-धीरे पियें बिना बुलबुले वाला सोडा भी पी सकते है। यदि सीने में जलन रोकने वाली गोली या एसिडिटी दूर करने वाली गोली फ़ूड पायजनिंग या डायरिया की स्थिति में लेते है तो मामला और बिगड़ सकता है। 
शरीर में घातक बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता होती है जो उक्त गोलियों के लेने से पीड़ित की ताकत क्षीण कर देते है। वैसे स्वयं उपचार या राहत पाने की उपाय करने की बजाये योग्य चिकित्सक से तत्काल जांच और उपचार करवाएं अन्यथा ये महामारी भी बन सकती है। 

सावधानियां 
+ सलाद व् अंकुरित चीजें साफ़ सुथरी रखें 
+ भोजन से पूर्व हाथों को भली भाँती साफ़ करें।
+ ज्यादा पुराना खट्टा दही न खाएं .
+ बासी भोजन करने से बचे।
+ गन्दी जगहों की बाजारी वस्तुओं का सेवन न करें।
+ सदी-गली, फल-सब्जी का किसी भी रूप में सेवन न करें।
+ अप्रचलित फल-सब्जी व् मशरूम को भली प्रकार  कर लें।
+ डिब्बाबंद, बोतलबंद चीजों की निर्माण व् कालातीत होने की तारिख देख कर ही प्रयोग करें।
+ किसी भी खाद्द वस्तु में अपरिचित गंध या दुर्गन्ध होने पर उसका सेवन न करें।



सुविचार-

प्रार्थना ऐसे करनी चाहिए जैसे कि सब कुछ ईश्वर पर निर्भर करता है

और काम ऐसे करना चाहिए कि सब कुछ हम पर निर्भर करता है ।

स्वस्थ रहने के लिए पैदल चले Walking For Good Health


पैदल चलने वाले अब कम रह गए है जबकि पैदल चलने को कसरत का राजा कहा जाता है। पैदल चलने से सभी तरह का लाभ मिलता है। यह बिना खर्च , अल्प श्रम एवं कुछ समय के भीतर पैदल चलने वालो को स्वास्थ्य लाभ दिलाता है।

आधुनिक विज्ञान भी पैदल चलने को एरोबिक्स कसरतों से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ के समतुल्य बताता है।  साधन सुविधाभोगी एवं नाना प्रकार की बीमारियों से त्रस्त व्यक्ति यदि पैदल चलने के महत्व को स्वीकार कर ले तो वे आगे सेहतमंद रह सकते है। शुगर, बी.पि., कोलेस्ट्रोल, मोटापा आदि अनेक रोगों में पैदल चलना परम्हित्कारी है।

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

जब आये बुखार .... When Fever Knocks....


मौसम कैसा भी क्यों न हो, कोई न कोई व्यक्ति बुखार से पीड़ित मिल ही जाएगा। शायद यही कारण है की हम बुखार को गंभीरता से नहीं लेते। जो कभी जानलेवा भी बन सकता .
बुखार आने पर मरीज को आरामदायक बिस्तर पर लेटाना चाहिए। तापमान लेने के बाद मरीज को ज्यादा गर्म वस्त्रों से न ढकें। डाक्टर से मरीज की पूरी पूछताछ करें। सामान्यता बुखार में दी जाने वाली दवाओं से मरीज का गला सूखने लगता है। ऐसी स्तिथि में मरीज को पानी देने से आना कानी न करें। निम्बू-पानी, सूप व् फ्रूट जूस, मरीज के लिए अधिक लाभप्रद होता है।
मरीज को यथासंभव हवादार या जालीदार कमरें में सुलाएं। और उसके कपडे डेटोल से साफ़ करके पहनाएं। बुखार के प्रारम्भिक 24-48 घंटों में मरीज को पूर्ण आराम देना चाहिए क्योंकि उस वक्त वह अति कमजोर होता है। बुखार के वक्त मरीज के मुंह का स्वाद बदल जाता है। तथा खाने के प्रति उसकी रुचि ख़त्म हो जाती है। ऐसे में उसे खाने के लिए जबरदस्ती न करें। ऐसे समय में मरीज का कसरत करना वर्जित है। 

सावधानियां-

+ बुखार होने पर मरीज को पैरासिटामोल के अतिरिक्त अन्य कोई दवा न दे। एक-दो दिन में बुखार ठीक न होने पर चिकित्सक को दिखाएँ। एंटीबायटक दवाएं कभी भी डाक्टरी सलाह के बिना न ले।

+ थर्मामीटर को धोकर, वैसलीन या क्रीम लगाकर एंटीसैप्टिक घोल में रखें।

+ मरीक के कपडे डेटोल से धोये। चिकित्सक द्वारा दी गयी हिदायतों के  ही अनुसार ही मरीज को दवा दे।



सुविचार-

उत्साह ही बलवान होता है, उत्साह से बढ़कर दूसरा कोई बल नहीं है । उत्साही पुरुष के लिए इस संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है ।

बाल रंगने है तो . . . Hair Coloring Tips






कहते है की समय के साथ चलना है तो चुस्तदुरुस्त और आकर्षक दिखना भी आवश्यक है। वैसे इस आधुनिक युग में हर किसी की तमन्ना बन गयी है आकर्षक और जवां दिखने की . अगर ऐसा है तो देर किस बात की , तैयार हो जाइये अपने सुन्दर सवस्थ बालों को और सुंदर तथा आकर्षक बनाने के लिए।



बाल रंगने की उपयोगिता

+ हेयर कलर व्यक्तित्व को आधुनिक स्वरूप प्रदान करता है।



+ हेयर कलर का प्रयोग बालों में चमक उत्पन्न कर बालों को नरम और मुलायम बनाता है।



+ हेयर कलर बालों को प्राक्रतिक रूप में परिवर्तित करता है।



+ सफ़ेद बालों की समस्या से परेशान महिलायें/पुरुष हेयर कलर का प्रयोग कर न सिर्फ अपने सफ़ेद बालों की समाया का स्थायी समाधान कर सकती है वही अपना खोया हुआ आत्मविश्वास भी पा सकते है।



बाल रंगते समय सावधानियां

+ हेयर कलर सदैव स्वस्थ बालों में करें, बेजान बालों में कलर करना बालों सम्बन्धी अनेक समस्याएं पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।



+ हेयर कलर का प्रयोग करने से पूर्व त्वचा संवेदनशीलता का टेस्ट अवश्य करें।



+ हेयर कलर लगाने से 24 घंटे पूर्व बालों में शैम्पू का प्रयोग करें।



+ हेयर कलर सदैव सूखे बालों पर लगाएं।



+ हेयर कलर सदैव अच्छी क्वालिटी और अच्छी गुणवत्ता वाला ही प्रयोग करना चाहिए।



+ हेयर कलर का प्रयोग करने और अपने बालों को नया लुक देने से पूर्व अनुभवी हेयर एक्सपर्ट से परामर्श अवश्य ले।



+ अपने हेयर कलर का चुनाव करते समय अपने काम्प्लेक्शन का भी ध्यान रखें।



+ हेयर कलर का प्रयोग करते समय आँखों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें।



+ बाल धोने के लिए माइल्ड शैम्पू का प्रयोग करे।



+ बालों को प्रत्यक्ष धुप और धुल मिटटी से भी बचा कर रखें।











सुविचार-

अगर आपकी इच्छाएं मजबूत होंगी तो आपको महसूस होगा कि उनका पूरा करने की अलौकिक शक्ति आ गई है ।



शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

ओषधि सरसों का तेल Mustard Oil

आमतोर पर सरसों का तेल का इस्तेमाल रसोई घर में सब्जियों में अथवा अचार बनाने में किया जाता है। लेकिन इसकी महत्ता यही तक ही सिमित नहीं है।  इसमें छिपे है स्वास्थ्य और सोन्दर्य के राज़-

+ पैरों के तलवों में सरसों के तेल की मालिश करने से थकावट दूर होती है। 

+ कान दर्द सताए तो दो बूँद सरसों के तेल की डाल दे।

+ यदि कान में मैल जमा हो गया है तो दो बूँद सरसों के तेल की डाल दे, मैल फूल कर बाहर आ जाएगा।

+ कान में कीड़ा चला जाये तो सरसों के तेल में लहसुन की कलि मिला कर गर्म कर तथा गुनगुना रहने पर कान में एक-दो बूँद डाल दे। कीड़ा मर कर बाहर निकल आएगा।

+ सर्दीजुकाम से पीड़ित हो तो छाती तथा पीठ पर सरसों का तेल लगायें।

+ गठिया की शिकायत में सरसों के तेल में कपूर मिलकर प्रभावित अंग पर लगायें। 

+ दाद-खाज , खुजली आदि चर्मरोग से निजात पाने के लिए सरसों के तेल में आक के पत्तों का रस तथा हल्दी मिलकर गर्म करके छान कर शीशी में भर ले तथा प्रभावित भाग पर लगायें।

+ सरसों के तेल की मालिश करने से रक्त संचार बढता है तथा सफुर्ती आती है।

+ सरसों के तेल की मालिश नवजात शिशु और प्रसूता दोनों के लिए ही लाभदायक है।

+ सरसों का तेल में नियमित रूप से बालों पर लगाने से वह असमय सफ़ेद नहीं होते।

+ सर्दियों में सरसों के तेल की मालिश करने से सर्दी का असर कम होता है।

+ सरसों के तेल को गुनगुना करके पिंडलियों पर मालिश करने से पिंडलियों का दर्द समाप्त हो जाता है।



सुविचार-
सफलता खुशी की चाबी नहीं है । 
अपितु खुशी सफलता की चाबी है । 
आप जो कर रहे है अगर आप उससे प्यार करते है तो आप जरुर सफल होंगे ।

मुंह में टूथब्रश रखना खतरनाक Misuse Of ToothBrush


सुबह उठते ही मुंह को साफ़ करना हमारा पहला काम होता है। मुंह साफ़ करते समय कई लोग टूथब्रश को अपने मुंह में दबाकर इधर उधर घूमते है। या फिर कोई अन्य काम निपटाने की कोशिश करते है लेकिन शायद लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं होता की यह कितना खतरनाक हो सकता है। 
न्यूज़ीलैंड की एक 15 वर्षीय किशोरी अपने मुंह में लगभग 15 सेंटीमीटर लम्बे टूथब्रश को लेकर इधर उधर घूम रही थी। अचानक ठोकर लगने से वो गिर पड़ी और ब्रश का आधे से अधिक हिस्सा उसकी आहार नाली में चला गया। इसके बाद उसका दम घुटने लगा। हालांकि ब्रश का कुछ हिस्सा उसके मुंह से बाहर था लेकिन दम घुटने का ज्यादा प्रभाव होने के कारन वह पूरा ब्रश निगल गयी। बाद में कैमरे से ब्रश की सही स्थिति का पता लगा कर उसे निकाला गया था।
सुबह फुर्सत से समय निकाले और समय देकर दांत साफ़ करें , नहीं तो , लापरवाही से दांत साफ़ करना आपके जीवन के लिए घातक हो सकता है।



सुविचार-
जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी है
बचपन में मां का,
जवानी मे महात्मा का
और बुढ़ापे में परमात्मा का ।