सोमवार, 1 सितंबर 2014

आज के झूठे दिखावे पतन की और

इंसान पहले गरीब होता है
फिर कुछ पैसा कमा लेता है
उसके बाद खुद की दूकान लेता है
फिर मकान खरीदता है 


उसके बाद कमाई चालु रहे तो उसके मन में विचित्र फितरत पैदा होती है

स्टैण्डर्ड मेन्टेन की 

इसके लिए वो हर चीज ब्रांडेड खरीदता है
चाहे वो कपडा मोबाइल गाडी या घडी हो !

यहीं से उसका पतन शुरू होता है
उसका आधा पैसा इसलिए खर्च होता है की वो दुनिया को दिखा सके की वो पैसे वाला है !

फिर जब थोडा गलत समय आ जाए तो उसको अपना स्टैण्डर्ड मेन्टेन करने में दिक्कत आती है और इंसान अपने बुरे समय को कोसना शुरू कर देता है !

अरे भाई अपने शौक सिमित रखिये ताकि आपको बुरे समय में ज्यादा तकलीफ न हो !
बाकी समय तो समय है, आज तक किसी का नहीं हुआ !
चढता सूरज भी ढल जाता है तो इंसानों की क्या औकात ?