रविवार, 1 जून 2014

रेप मुक्त भारत

एक लङकी थी रात को आँफिस से वापस लोट रही थी
देर भी हो गई थी...
पहली बार ऐसा हुआ
ओर काम भी ज्यादा था तो टाइम का पता ही नही चला
वो सीधे auto stand पहुँची
वहाँ एक लङका खङा था
वो लङकी उसे देखकर डर गई की कही उल्टा सीधा ना हो जाए
 
 तभी वो लङका पास आया ओर कहा 
बहन तू मौका नही जिम्मेदारी हे मेरी ओर जब तक तुझे कोई गाङी नही मिल जाती मैँ तुम्हे छोङकर  कहीँ नही जाउँगा


वहाँ से एक ओटो वाला  गुजर रहा था
लङकी को अकेली लङके के साथ देखा तो तुरंत ओटो रोक दी
ओर कहा कहाँ जाना हे मेडम
आइये मे आपको छोङ देता हुँ
लङकी ओटो मे बेठ गई

रास्ते मे वो ओटो वाला बोला तुम मेरी बेटी जैसी हो इतनी रात को तुम्हे अकेला देखा
तो ओटो रोक दी आजकल जमाना खराब हेना और अकेली लङकी मौका नही जिम्मेदारी होती हे

लङकी जहाँ रहती थी  वो एरिया आ चुका था वो ओटो से उतर गई
ओर ओटो वाला चला गया
लेकिन अब भी लङकी को दो अंधेरी गली से होकर गुजरना था
वहाँ से सिर्फ चलकर गुजरना था 
तभी वहाँ से पानीपुरी वाला  गुजर रहा था
शायद वो भी काम से वापस घर की ओर गुजर रहा था

लङकी को अकेली देखकर कहा आओ मेँ तुम्हे घर तक छोङ देता हुँ
उसने अपने  ठेले को वही छोङकर एक टोर्च लेकर उस लङकी के साथ  अंधेरी गली की और निकल पङा
वो लङकी घर पहुँच चुकी थी
आज किसी की बेटी , बहन सही सलामत घर पहुँच चुकी थी

मेरे भारत को तलाश हे
ऐसे तीन लोगो की

1)  वो लङका जो
बस स्टेड पर खङा था

2) वो ओटो वाला ओर

3) वो पानीपुरी वाला

जिस दिन ये तीन लोग मिल जाएगे
उस दिन मेरे भारत मेँ रेप होना बंद हो जाएंगे